ग्वालियर: अवैध उत्खनन से ग्वालियर के आस-पास की पहाड़ियां लगातार गायब होती जा रही हैं. पत्थर मिट्टी और मिट्टी का अवैध उत्खनन इतनी मात्रा में होता है कि इन माफियाओं ने चट्टानों को ही समतल बना दिया है. अवैध खनन से शहर के आसपास का वन क्षेत्र तेजी से घट रहा है. इसका सीधा असर पर्यावरण पर दिखने लगा है, वातावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है. साल दर साल न्यूनतम अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. समय रहते इन खनन पर रोक नहीं लगी तो भविष्य में इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. वन विभाग और खनन विभाग इन माफियाओं पर लगातार कार्रवाई करता रहता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह माफिया इतने हावी हैं, इनका खनन करना निरंतर जारी है.
खनन के चलते पहाड़ियां हुई गायब
ग्वालियर जिले में घाटीगांव, बिलौआ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर एक दर्जन से अधिक बड़ी पहाड़ियां हैं, घाटीगांव में सोन चिरैया अभ्यारण है और यहां के जंगल में कई प्रकार के जीव-जंतु रहते हैं. लेकिन इस इलाके में माफिया भी लगातार सक्रिय हैं. यहां पर पत्थरों का अवैध खनन होने से पहाड़ियां गायब होती जा रही हैं. मिट्टी के साथ ही पेड़ पूरी तरह सफाचट हो गए हैं. इसका नतीजा है कि वन विभाग और खनिज विभाग में तालमेल न होने कारण इस अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पा रही है.
जिले की एक दर्जन पहाड़ियों को माफियाओं ने किया सपाट
ग्वालियर जिले के आस-पास वन क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक पहाड़ियां हैं, जिसमें सरकार की तरफ से 2005 तक सरकारी लीज की परमिशन की थी. 2005 के बाद लीज न होने के कारण माफिया अवैध उत्खनन कर रहे हैं. इस अवैध उत्खनन के चलते पहाड़ियां गायब होती जा रही हैं, ग्वालियर जिले में सफेद और काले पत्थर की पहाड़ियां हैं, जहां पर यह माफिया खनन करते हैं.
विलुआ क्षेत्र में 200 से अधिक काली गिट्टी क्रेसर