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पहाड़ों को निगल रहा अवैध खनन का कारोबार, पर्यावरण पर गहराता जा रहा संकट - अवैध उत्खनन से ग्वालियर के आस पास की पहाड़ियां गायब

अवैध खनन और माफियाओं के बुलंद हौसले अब प्रकृति पर हावी होने लगे हैं, ग्वालियर के आसपास के जंगल गायब हो रहे हैं और कई पहाड़ समतल किए जा चुके हैं, इतना ही नहीं घाटीगांव में सोनचिरैया अभ्यारण में सोन चिड़िया बीते छह साल से नहीं दिखाई दी है. ग्वालियर के तापमान को भी खनन प्रभावित कर रहा है.

Illegal quarrying in Gwalior is affecting environment
पहाड़ियां निगल रहा अवैध खनन

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Published : Dec 17, 2020, 7:15 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 7:28 PM IST

ग्वालियर: अवैध उत्खनन से ग्वालियर के आस-पास की पहाड़ियां लगातार गायब होती जा रही हैं. पत्थर मिट्टी और मिट्टी का अवैध उत्खनन इतनी मात्रा में होता है कि इन माफियाओं ने चट्टानों को ही समतल बना दिया है. अवैध खनन से शहर के आसपास का वन क्षेत्र तेजी से घट रहा है. इसका सीधा असर पर्यावरण पर दिखने लगा है, वातावरण में तेजी से बदलाव आ रहा है. साल दर साल न्यूनतम अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी हो रही है. समय रहते इन खनन पर रोक नहीं लगी तो भविष्य में इसके बुरे प्रभाव देखने को मिल सकते हैं. वन विभाग और खनन विभाग इन माफियाओं पर लगातार कार्रवाई करता रहता है, लेकिन इसके बावजूद भी यह माफिया इतने हावी हैं, इनका खनन करना निरंतर जारी है.

खनन के चलते पहाड़ियां हुई गायब

ग्वालियर जिले में घाटीगांव, बिलौआ ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर एक दर्जन से अधिक बड़ी पहाड़ियां हैं, घाटीगांव में सोन चिरैया अभ्यारण है और यहां के जंगल में कई प्रकार के जीव-जंतु रहते हैं. लेकिन इस इलाके में माफिया भी लगातार सक्रिय हैं. यहां पर पत्थरों का अवैध खनन होने से पहाड़ियां गायब होती जा रही हैं. मिट्टी के साथ ही पेड़ पूरी तरह सफाचट हो गए हैं. इसका नतीजा है कि वन विभाग और खनिज विभाग में तालमेल न होने कारण इस अवैध उत्खनन पर रोक नहीं लग पा रही है.

पहाड़ियां निगल रहा अवैध खनन

जिले की एक दर्जन पहाड़ियों को माफियाओं ने किया सपाट

ग्वालियर जिले के आस-पास वन क्षेत्र में एक दर्जन से अधिक पहाड़ियां हैं, जिसमें सरकार की तरफ से 2005 तक सरकारी लीज की परमिशन की थी. 2005 के बाद लीज न होने के कारण माफिया अवैध उत्खनन कर रहे हैं. इस अवैध उत्खनन के चलते पहाड़ियां गायब होती जा रही हैं, ग्वालियर जिले में सफेद और काले पत्थर की पहाड़ियां हैं, जहां पर यह माफिया खनन करते हैं.

विलुआ क्षेत्र में 200 से अधिक काली गिट्टी क्रेसर

जिले का बलुआ क्षेत्र जहां पर 200 से अधिक काली गिट्टी क्रेसल लगे हैं, क्योंकि बलुआ क्षेत्र में काली गिट्टी की पहाड़ियां हैं. यही वजह है कि यहां पर सरकार की परमिशन से पहाड़ों से पत्थर की खुदाई करते हैं फिर क्रेसरों के माध्यम से गिट्टी बनाई जाती है, ये गिट्टी अन्य राज्यों में यहां से सप्लाई की जाती है.

रॉयल्टी के नाम पर दूसरी जगह से करते हैं अवैध खनन

सरकार ने काली गिट्टी क्रेशर को संचालित करने के लिए परमिशन दी है, लेकिन खनन माफिया दूसरी जगह से सरकार के लिए इसका फायदा उठाकर अवैध उत्खनन करते हैं यही वजह है कि लगातार यहां पर वन क्षेत्र घटता जा रहा है, पहाड़ियां गायब होती जा रही हैं

वन विभाग की तरफ से हर माह 20 से 25 कार्रवाई

जिले में लगातार अवैध खनन पर वन विभाग हर महीने 20 से 25 कार्रवाई करता है. मतलब वन विभाग अधिकारी के मुताबिक रोज एक से दो कार्रवाईयां इन माफियाओं पर की जाती हैं, साथ ही उनके 8 से 10 वाहन हर महीने राजसात किए जाते हैं.

छह साल से नहीं दिखी सोन चिरैया

घाटीगांव में सोनचिरैया अभ्यारण में सोन चिड़िया 6 साल से नहीं दिखाई दी है और इसका सबसे बड़ा कारण वहां पर हो रहा अवैध उत्खनन है. सोन चिरैया अभ्यारण के आसपास माफिया लगातार अवैध उत्खनन करते रहते हैं इस वजह से घाटीगांव पारी पर रहने वाले सभी जीव जंतु विलुप्त होते जा रहे हैं, इसको लेकर हाईकोर्ट ने भी जिला प्रशासन और वन विभाग को निर्देश दिए थे कि सोनचिरैया अभ्यारण के आस-पास जितने भी अवैध उत्खनन किए जा रहे हैं उनको तत्काल रोका जाए, लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन और वन विभाग नाकाम नजर आया.

Last Updated : Dec 17, 2020, 7:28 PM IST

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