ग्वालियर। पिछले करीब 36 सालों से विवादों में रही सिंधिया परिवार की पुश्तैनी हिरणवन कोठी एक बार फिर चर्चा में है. इस बार चर्चा का कारण कोठी के मालिकाना हक को लेकर विवाद नहीं, बल्कि वहां कराया गया निर्माण और बिजली कनेक्शन है. कोठी में रिसीवर की अनुमति के बिना निर्माण कराया गया है. अब इस मामले में रिसीवर सोमवार को हाईकोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पेश करेंगे.
ये है पूरा विवाद
पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वर्गीय माधवराव सिंधिया और पूर्व सरदार स्वर्गीय संभाजीराव आंग्रे के बीच इस कोठी के आधिपत्य को लेकर विवाद चल रहा था. 1983 में इस कोठी पर बलात कब्जे को लेकर पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया सहित 16 लोगों पर डकैती का मामला दर्ज किया गया था. तत्कालीन संभाजीराव आंग्रे का आरोप था कि उन्हें जबरन कोठी से बेदखल किया गया है, जबकि राजमाता विजयराजे सिंधिया ने उन्हें 1973 में ये कोठी रहने के लिए दी थी. शहर के बसंत बिहार जैसे पॉश इलाके में कई हेक्टेयर में इस कोठी का परिसर फैला हुआ है.