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वर्चुअल v/s फिजिकल: आरोपी की याचिका पर सुनवाई से पहले विधिवेत्ताओं की राय लेगा हाईकोर्ट

नारकोटिक्स एक्ट (Narcotics Act) के मामले एक आरोपी की याचिका पर विधिवेत्ताओं की राय जानने के लिए कोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देशित किया गया है कि वह वर्चुअल हियरिंग के बजाय फिजिकल हियरिंग में अधिवक्ताओं की राय जानें.

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Published : Jun 26, 2021, 10:36 AM IST

ग्वालियर। हाईकोर्ट (High Court) की ग्वालियर खंडपीठ ने नारकोटिक्स एक्ट के एक आरोपी की याचिका पर विधिवेत्ताओं का सुझाव जानने के लिए कोर्ट के प्रिंसिपल रजिस्ट्रार को निर्देशित किया है कि वह वर्चुअल हियरिंग के बजाय फिजिकल हियरिंग में अधिवक्ताओं की राय जानें. दरअसल, यह पूरा मामला मुरैना जिले के पोरसा कस्बे का है. यहां रहने वाले कृष्ण बिहारी शर्मा का कहना है कि पुलिस ने उसे नौ क्विंटल गांजा की बरामदगी के मामले में गलत तरीके से फंसाया हैं.

कृष्ण बिहारी शर्मा का कहना है कि उसका और उसके परिवार का कोई आपराधिक चरित्र नहीं है, लेकिन पोरसा पुलिस ने पिछले साल 14 दिसंबर 2020 को एक ट्रक से नौ क्विंटल गांजा बरामद किया था. इसमें उसका भाई श्याम बिहारी शर्मा मौके से फरार बताया गया है. छोटा भाई बृज बिहारी और उसके पिता हरिओम शर्मा को गलत तरीके से आरोपी बनाया गया हैं, जबकि कृष्णा बिहारी खुद उस दिन अपने रिश्तेदारों के पास गया हुआ था.

पुलिस ने उसके पिता हरिओम शर्मा और भाई को घर से गिरफ्तार कर लिया. इसकी रिकॉर्डिंग भी पड़ोस में लगे सीसीटीवी कैमरे में हो गई. इस मामले में याचिकाकर्ता कृष्णा बिहारी शर्मा हाईकोर्ट पहुंचा था. उसने कहा कि वह मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपने पक्ष में सबूत पेश नहीं कर सकता है. इसलिए हाईकोर्ट अधीनस्थ न्यायालय को आदेशित करें कि उसकी बेगुनाही के सबूत भी पुलिस की जांच में शामिल किए जाए. याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए पुलिस को सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने की कोशिश की.

विधिवेत्ताओं की राय लेगा हाईकोर्ट


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जांच में फरियादी के सबूतों को शामिल नहीं कर रही पुलिस


फरियादी का कहना है कि पुलिस जांच में उसके सबूतों को शामिल नहीं कर रही है. पूरे परिवार को झूठा फंसा रही है, जबकि उसके परिवार का कोई पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. उसका यह भी कहना है कि मामले की जांच सीआईडी ​​या एसआईटी को सौंपी जानी चाहिए.

सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अतिरिक्त महाधिवक्ता अंकुर मोदी से इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक दृष्टांतों का हवाला मांगा, जिसमें बताया गया कि आरोपी दंड विधान प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत अपने पक्ष में सबूत पेश कर सकता है या नहीं. अब इस पर विधि के जानकारों की राय भौतिक सुनवाई के दौरान ली जाएगी. मामले पर अगली सुनवाई दो अगस्त 2021 को होगी.

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