ग्वालियर। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने भिंड जिले के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को सिंध नदी में किए जा रहे खनन की जांच के आदेश दिए हैं. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि 2 जुलाई को दिए गए आदेश के पालन में शासन ने क्या इंतजाम किए हैं. और खनन रोकने के प्रयास किए जा रहे हैं या नहीं, इसकी रिपोर्ट सीजीएम पूरी जांच करने के बाद कोर्ट में पेश करें. साथ ही अदालत ने एसपी से पुलिस बल मुहैया कराए ताकि जांच में कोई व्यवधान न हो.
कोर्ट ने 2 जुलाई को खनन रोकने के लिए एक गाइडलाइन जारी की थी, इस पर नदी पर व्यवस्थाएं बनानी थी. ग्वालियर हाईकोर्ट ने लक्ष्मी नारायण द्वारा एडवोकेट उमेश बोहरे ने भिंड में सिंध नदी में हो रहे अवैध खनन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी. याचिकाकर्ता ने कोर्ट को अवगत कराया था कि नदी में धड़ल्ले से अवैध खनन हो रहा है, इससे नदी के अस्तित्व को खतरा है.
प्रशासन और पुलिस इसे रोकने में नाकाम है. रेत माफिया पूरे इलाके में हावी हो गया है. साथ ही खनन की वजह से शासन को लाखों का राजस्व का नुकसान भी हो रहा है, इसके बाद भिंड कलेक्टर ने खनन रोकने के लिए किए गए प्रयासों की जानकारी कोर्ट को दी थी. प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया था कि 2018-19 में रेत खनन से संबंधित 1063 केस दर्ज किए गए हैं, जिसमें से 14 केस अवैध रेत खनन की दर्ज किए गए थे. 1022 केस अवैध रेत परिवहन से जुड़े हैं. उन 27 लोगों पर केस दर्ज किए गए, जिन्होंने रेत का अवैध भंडारण किया था. इन सब पर 6 करोड़ 96 लाख 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है.