ग्वालियर।सम्राटमिहिर भोज (Emperor Mihir Bhoj) जाति को लेकर चल रहे विवाद में शनिवार को मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench of Madhya Pradesh High Court) ने दखल दिया. कोर्ट ने प्रतिमा की शिला पट्टिका ढंकने का आदेश जारी किया. शनिवार रात शिला पट्टिका काे ढंकने पहुंचे प्रशासन का गुर्जर समाज के लोगों ने प्रशासन और पुलिस पर पथराव (Stone Pelting on Administration and Police) कर दिया. स्थिति को काबू करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े. रात दो बजे प्रशासन और गुर्जर समाज की हुई शांतिवार्ता.
इस दौरान पुलिस के आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए. पथराव में एएसपी राजेश दंडोतिया घायल (ASP Rajesh Dandotia Injured) भी हो गए. आखिरकार प्रशासन ने शिला पट्टिका को चारों ओर टीन से ढंक दिया. गुर्जर समाज के विरोध के बाद पुलिस ने इलाके को छावनी में तबदील कर दिया.
शांतिवार्ता में प्रशासन और समाज के बीच बनी सहमति
पथराव के बाद प्रशासन ने रात 2 बजे बैठक का आयोजन किया. कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह, एसपी अमित सांघी, जिला पंचायत सीईओ आशीष तिवारी की मौजूदगी में गुर्जर समाज के प्रतिनिधियों से पुलिस कंट्रोल रूम सभागार में चर्चा की. इस दौरान हाईकोर्ट के आदेश अनुसार शिला पट्टिका को बाहर से कवर किए जाने पर सहमति बनी. इसके अलावा शिला पट्टिका के साथ छेड़छाड़ न किए जाने का आश्वासन जिला प्रशासन ने दिया. वहीं प्रशासन और गुर्जर समाज के लोगों के बीच हुई शांतिवार्ता के बाद प्रतिनिधियों ने समाज के लोगों से अपील की है कि शिला पट्टिका को हटाया नहीं जा रहा है, उसे सिर्फ कवर किया गया है.
हाईकोर्ट के आदेश पर कलेक्टर ने बनाई कमेटी
पिछले ग्वालियर के चिरवाई नाके पर राजा मिहिर भोज के प्रतिमा का अनावरण किया गया था. जिसके बाद उनकी जाति को लेकर क्षत्रिय और गुर्जर समाज के बीच संघर्ष की स्थिति बन गई. इस विवाद का असर ग्वालियर के अलावा आसपास के मुरैना और भिंड़ जिलों में भी पड़ने से स्थिति बिगड़ने लगी. इस मामले में ग्वालियर कलेक्टर को हाईकोर्ट ने एक कमेटी बनाने के आदेश दिए. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कोर्ट ने प्रतिमा पर लगी शिला पट्टिका ढंकने के आदेश दिए. जिसके बाद विवाद और बढ़ गया.
3 हफ्ते में रिपोर्ट सौंपेगी कमेटी
कलेक्टर द्वारा बनाई गई कमेटी में संभागीय आयुक्त आशीष सक्सेना को अध्यक्ष और आईजी ग्वालियर रेंज को उपाध्यक्ष बनाया गया है. इसके अलावा गुर्जर समाज से आरबीएस घुरैया और क्षत्रिय समाज के डीपी सिंह को सदस्य के रूप में नामित किया गया है. हाई कोर्ट ने कमेटी को 3 हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है.
समाजसेवी ने कोर्ट मे दायर की थी याचिका
ग्वालियर के समाजसेवी राहुल साहू ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी. उनकी ओर से कोर्ट में तर्क दिया गया कि सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा को लेकर दो समाजों में विवाद चल रहा है. इससे शहर में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति बिगड़ रही है. प्रशासन की ओर से पैरवी करते हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता ने तर्क दिया कि नगर निगम ने प्रतिमा लगाने का जो प्रस्ताव पास किया था, उसमें सम्राट मिहिर भोज ही लिखा गया था. इस विवाद को खत्म करने के लिए चार सदस्यीय कमेटी बना दी है.
कोर्ट के आदेश की प्रमुख बातें
- कोर्ट ने कहा कि कमेटी में संभागायुक्त और पुलिस महानिरीक्षक को शामिल किया जाए. संभागायुक्त कमेटी के अध्यक्ष होंगे और आईजी उपाध्यक्ष. कमेटी में एक सदस्य गुर्जर समाज और एक क्षत्रिय समाज का सदस्य लिया जाए. फिर भी कोई विवाद होता है तो गुर्जर समाज के अधिवक्ता आरवीएस घुरैया और क्षत्रिय समाज का अधिवक्ता डीपी सिंह प्रतिनिधित्व करेंगे.
- कमेटी ठोस सबूत और साहित्य के आधार पर ऐतिहासिकता का पता लगाएगी. साथ ही इस पर भी विचार करेगी कि सार्वजनिक स्थान पर राष्ट्रीय नायक की मूर्ति के सामने जाति प्रयोग किया जा सकता है. देश में लगी सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमाओं के संबंध में भी मार्गदर्शन लेगी. साथ ही समय पर सुप्रीम कोर्ट ने दिए संवैधानिक सिद्धांत व आदेशों पर भी विचार करेगी. बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की जाएगी.
- कोर्ट ने कहा, कमेटी की रिपोर्ट आने तक शिला पट्टिका को ढंका जाए, जो दो समाजों को बीच विवाद का कारण बनी है. कोर्ट ने दोनों समाज के बुजुर्ग लोगों से उपेक्षा की है कि वह लोगों को समझाएं.
इस तरह शुरू हुआ जाति पर विवाद
ग्वालियर में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा लगाई गई थी. इस प्रतिमा के नीचे लगे शिलालेख पर लिखे गुर्जर शब्द लिखा था, जिस पर ही विवाद शुरू हुआ. गुर्जर समाज का मानना है कि सम्राट मिहिर भोज गुर्जर शासक थे, जबकि राजपूत समाज का कहना है कि वो प्रतिहार वंश के शासक थे. सम्राट मिहिर भोज के नाम से पहले गुर्जर शब्द लगाने को लेकर ठाकुर समाज के लोगों ने जगह-जगह महापंचायत की थी. इसके बाद इस विवाद की लपटें मुरैना जिले तक पहुंची. अब हाईकोर्ट ने इस मामले में दखल दिया है.