ग्वालियर। हाईकोर्ट ने दो साल से सामान्य आरोपों में सजा काट रहे कैदियों को राहत देते हुए एक सराहनीय कदम उठाया है. जिसमें आरोपियों को इसी शर्त पर जमानत दी गई है कि पेड़ पौधे लगाएं, अस्पतालों में मरिजों की सेवा करें या वीर एप में शहीदों की विधवाओं के लिए पैसे जमा करें.
ग्वालियर: समाज सेवा की शर्त पर हाईकोर्ट ने दी कैदियों को जमानत
हाईकोर्ट ने पिछले दो साल से आरोपियों को समाज सेवा करने की शर्त पर जमानत दी है. साथ ही इन कामों की मॉनिटरिंग सरकाली वकीलों को दी गई है. जमानत के दौरान कैदी पौधारोपण, अस्पताल में सेवा जैसे काम करते हैं.
पिछले 2 साल में हाईकोर्ट ने करीब 1000 से ज्यादा पौधे लगाने के आदेश अब तक किए हैं. लोग अपराधों से दूर भागें और प्रकृति के नजदीक जाएं इसी उद्देश्य से कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. शासन अपने स्तर पर हर साल हरियाली महोत्सव मनाता है लेकिन कोर्ट का ये आदेश अलग ही रूप में देखा जा रहा है. कोर्ट के इस आदेश को अनदेखा भी नहीं किया जा सकता क्योंकि कोर्ट समाज सेवा करने के दौरान उसका सबूत भी मांगता है और मॉनिटरिंग का अधिकार सरकारी वकीलों को देता है.
कई मामलों में हाईकोर्ट ने पुलवामा अटैक के बाद शहीदों की विधवाओं के लिए बने वीर एप में आर्थिक मदद के रूप में आरोपियों को पैसा जमा कराने के भी निर्देश दिए हैं. एक शिवपुरी के मामले में जिसमें युवक पर छेड़छाड़ का आरोप था, उसे जिला अस्पताल में रोजाना आने वाले मरीजों की सेवा का जिम्मा कुछ समय के लिए सौंपा था. इसी तरह भिंड, मुरैना, ग्वालियर, शिवपुरी, गुना अशोकनगर के कई मामलों में आरोपियों का जमानत आवेदन पेड़-पौधों लगाने के साथ स्वीकार किया गया.