ग्वालियर। शहर में पड़ रही ठंड का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रशासन द्वारा निरंतर स्कूलों की छुट्टी बढ़ाई जा रही है तो वही कामों पर से भी लोग जल्दी अपने घर आ रहे हैं. वहीं शहर में एक तबका ऐसा भी है जिसके ऊपर ना तो छत है और ना ही कोई घर और यह तबका सड़क पर सर्दियों में अपनी रातें बिताने को मजबूर है क्योंकि नगर निगम द्वारा इनकी मदद के लिए व्यवस्था तो की गई है लेकिन मॉनिटरिंग ना होने के चलते उस व्यवस्था का लाभ नहीं मिल पा रहा है. कहने को तो नगर निगम द्वारा गरीबों व जरूरतमंदों के लिए अलावा की व्यवस्था की गई है जिसके माध्यम से उन्हें लकड़ियां सप्लाई की गई हैं लेकिन जमीनी हकीकत में लोग अंधेरे में रहने को मजबूर हैं. (winter night in gwalior)
असुरक्षित रैन बसेरे: रोडवेज बस स्टैंड रेन बसेरे से लगभग 100 मीटर की दूरी पर सड़क किनारे रह रहे शिवपुरी निवासी नत्थू ने बताया कि साहब हम वहां (रैन बसेरा) नहीं जाएंगे क्योंकि वहां पर हमारे साथ कई बार चोरी बल्लू जैसी घटनाएं हो चुकी हैं. इसके साथ ही रात में असामाजिक तत्व आकर उनके साथ अभद्रता तो करते ही हैं साथ ही उनकी बहू बेटियों पर भी गलत नजर डालते हैं. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व जब वे रैन बसेरे में रह रहे थे तो उनके बच्चे का महंगा मोबाइल चोरी हो गया था जिसका आज तक कोई पता नहीं चला है. सड़क किनारे रह रही एक युवती ने बताया की हम लोग वहां नहीं जाएंगे क्योंकि वहां का माहौल सही नहीं है कोई भी गलत व्यवहार करने लगता है और कोई वहां सुनने वाला भी नहीं है. (gwalior unsafe night shelters)