ग्वालियर।समर्थन मूल्य पर फसल खरीद में ग्वालियर जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक (Gwalior District Cooperative Central Bank) मर्यादित की शाखा डबरा, चीनोर, घाटीगांव, मुरार, ग्वालियर, बेहट, पिछोर, आंतरी और भितरवार की 65 साख सहकारी सोसायटियों पर 17 करोड़ 39 लाख रुपए की चपत सरकारी खजाने को लगी है. (Gwalior food scam) सोसायटियों ने 5 करोड़ रुपए का हिसाब तो दे दिया,(Gwalior PDS scam) लेकिन 13 करोड़ 11 लाख रुपए का हिसाब अभी भी सार्वजनिक नहीं किया गया है, जबकि बीते सीजन में हुए धान घोटाले में से भी अभी 42 लाख रुपए की अनियमितताओं को उजागर नहीं किया गया है.
फाइलों के ढेर में दफन हुई जांच:इससे पहले 292.12 लाख रुपए की आर्थिक अनियमितताएं सोसायटियों पर हो चुकी हैं. आर्थिक अनियमितताओं को लेकर प्रशासनिक स्तर पर शुरू हुई जांच कुछ समय तक तो जारी रही लेकिन अब यह जांच पूरी तरह से फाइलों के ढेर में दफन हो गई है. नॉन, नागरिक आपूर्ति विभाग और सहकारिता के अधिकारियों ने पुराने मामलों में ढील देकर घोटालेबाजों को अपरोक्ष रूप से फायदा दे दिया है.
34 प्रकरणों की जांच अटकी:एक सप्ताह पहले ग्वालियर के ट्रांसपोर्ट नगर में 2600 बोरी पीडीएस पकड़ा है, जिसमें गेहूं, चावल ओर बाजरा है, लेकिन कार्रवाई के नाम पर सिर्फ एफआईआर हुई है. अब इस साल भी खरीद शुरू होने को है और पूर्व में दर्ज हो चुके 34 प्रकरणों की जांच फिर से अटकी हुई है. खास बात यह है कि सरकारी खजाने को चपत लगाने में सहकारी बैंक की लेखा और रिकॉर्ड शाखा के कर्मचारियों की भूमिका संदेह के घेरे में थी, लेकिन इनमें से कुछ रिटायर हो गए और कुछ का प्रमोशन कर दिया गया.
MP में अनाज का बड़ा घोटाला, शहडोल में 11 हजार क्विंटल धान गायब, जबलपुर में सड़ गया 1 करोड़ का अनाज
कहां कितना हुआ गोलमाल :
-प्राथमिक साख सहकारी संस्था करहिया 28 लाख 72 हजार रुपए का गोलमाल हुआ था.
-प्राथमिक साख सहकारी संस्था चिटोली पर 126.98 लाख रुपए का गोलमाल हुआ था.
-प्राथमिक साख सहकारी संस्था गढ़ाजर पर 107.22 लाख रुपए का गोलमाल हुआ था.
-प्राथमिक कृषि साख सहकारी संस्था भितरवार पर 29.2 लाख रुपए का गोलमाल हुआ था.
-प्राथमिक साख सहकारी संस्थाओं फसल ऋण माफी के 15, धान ट्रक चोरी के 8 और खाद, धान खरीदी और उपभोक्ताओं से संबंधित 11 प्रकरण दर्ज हुए थे. -11 प्रकरण में आरोप गिरफ्तार भी हुए। लेकिन राशि की पूरी वसूली अभी तक नहीं हो सकी.
9 शाखाओं पुराने मामले दर्ज:समिति स्तर पर हुए 34 प्रकरणों में 2758.76 लाख रुपए का गबन हुआ था.कुल कितनी वसूली हुई है, यह जानकारी विभाग के अधिकारी नहीं बताते हैं. बहरहाल प्रशासन का दावा है. जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक मर्यादित की जिन 9 शाखाओं पर आर्थिक अनियमितताओं के पुराने मामले दर्ज हैं, उनमें प्रकरण दर्ज हुए हैं. 11 कर्मचारियों की गिरफ्तारी भी हुई थी. अभी बैंक स्तर पर कितनी वसूली बाकी है.
यहां भी हुआ घोटाला: मध्यप्रदेश में सरकारी अधिकारियों की लापरवाही चरम पर है. ((Shahdol 11 Thousand Quintals Of Paddy Missing ) जबलपुर ओपन कैम्प में रखा 1 करोड़ का अनाज सड़ गया तो वहीं शहडोल जिले में धान का बड़ा घोटाला सामने आया है. (jabalpur Rotten grain kept in open camp) शहडोल जिले में किसानों से खरीदी गई 11 हजार क्विंटल धान गायब हो गई है. इसकी अनुमानित कीमत लगभग 2 करोड़ से ज्यादा की बताई जा रही है. इस घोटाले के बाद अब इलाके में हड़कंप मचा है.
11 हजार क्विंटल धान कम:शहडोल जिले में बीते वर्ष समर्थन मूल्य पर किसानों से धान खरीदी की गई थी, जिस में खरीदी गई धान की मात्रा और गोदाम में जमा की गई धान की मात्रा में 11 हजार क्विंटल का अंतर पाया गया है, जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 2 करोड़ 33 लाख के आसपास की बताई जा रही है. एक साथ इतने बड़े तादाद में धान का गायब होना एमपी स्टेट सिविल सप्लाई कारपोरेशन नान विभाग में हड़कंप मच गया है. 11 हजार क्विंटल धान कैसे गायब हुई इसे ऐसे समझा जा सकता है कि, बीते वर्ष 1940 रुपये प्रति क्विंटल की दर से समर्थन मूल्य पर 14 लाख 6 हजार क्विंटल धान किसानों से ऑनलाइन समिति के माध्यम से खरीदी गई थी. जिसका परिवहन सानू ट्रांसपोर्ट के माध्यम से किया गया था.इसके बाद अब गोदाम में जो धान जमा कराई गई उसमें 11 हजार क्विंटल धान कम पाई गई है.
सुध लेना भूल गए अधिकारी:कुंडम के तिलसानी के ओपन कैप में अधिकारियों ने गेहूं और धान रखवाई थी लेकिन इसकी सुध लेना ही भूल गए. जिसके चलते खुले में पड़ा अनाज सड़ गया.इतना ही नहीं इसमें घुन और इल्लियां भी लग गई हैं. मामला ओपन कैप एमपी वेयरहाउसिंग एंड लॉजिस्टिक्स कॉरपोरेशन का है. बताया जा रहा है कि साल 2019 और 20 में सरकार ने किसानों से करीब 6000 क्विंटल धान और गेहूं की खरीदी की थी. तब भंडारण के लिए तिलसानी के ओपन कैप में अनाज को रखवाया गया था. लेकिन अधिकारियों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया.
निरीक्षण के बाद भी नहीं हुई कार्रवाई:इस अनाज की कीमत करीब 1 करोड़ बताई जा रही है. हैरानी की बात तो यह है कि ओपन कैप में अनाज के सड़ने की जानकारी आला अधिकारियों को भी है, जिले के प्रशासनिक मुखिया कलेक्टर तक ने इस ओपन कैप का निरीक्षण किया बावजूद इसके उन्होंने अनाज के सड़ने के मामले में अधिकारियों पर ना तो कोई कार्रवाई की और ना ही अनाज की सुरक्षा के लिए कोई कदम ठोस उठाया.
सरकारी खजाने को लगा चूना:पूरे मामले कोई भी अधिकारी कर्मचारी बोलने को तैयार नहीं है. जानकारों का कहना है कि साल 2019-20 में गेहूं और धान के उपार्जन के दौरान सरकार ने किसानों से ये अनाज खरीदा था. उस समय किसानों को इसका भुगतान भी कर दिया था लेकिन देखरेख के अभाव और अधिकारियों की लापरवाही से सरकारी खजाने को एक करोड़ का चूना लग गया है. लिहाजा अब देखना यह होगा इस पूरे मामले में जिले के कप्तान क्या कार्रवाई करते हैं.