ग्वालियर।कुछ अलग करने की चाहत ने मध्यप्रदेश के अशोकनगर की रहने वाली छात्रा मुस्कान रघुवंशी को इतना प्रेरित किया कि उन्होंने करीब 4 हजार किलोमीटर की कश्मीर से कन्याकुमारी तक साइकिल यात्रा करने की ठान ली. 1 फरवरी को कश्मीर के सिट्रा सी आर पी एफ कैंप से अपनी साइकिल यात्रा शुरू करने वाली मुस्कान सोमवार रात को ग्वालियर पहुंचीं. मुस्कान रघुवंशी का कहना है कि वह 25 फरवरी को अपने अंतिम मंजिल यानी कन्याकुमारी पहुंच जाएंगी. मुस्कान के साथ एक कार में सवार उनके परिजन भी चल रहे हैं.
अशोकनगर की मुस्कान रघुवंशी की साइकिल यात्रा मॉडलिंग थी चाहत करने लगीं साइकिलिंग: 1 दिन में करीब 150 किलोमीटर से ज्यादा की साइकिलिंग करने वाली मुस्कान का कहना है कि हमारे समाज में आज भी लड़कियों को लेकर परिजनों और आम लोगों की धारणा में इतना बदलाव नहीं आया है जिससे कि लड़कियों को कुछ अलग हटकर करने की स्वतंत्रता मिल सके. उन्होंने कहा कि वे भी मॉडलिंग करके अपना और अपने क्षेत्र का नाम ऊंचा करना चाहती थीं लेकिन मॉडलिंग के लिए परिवार के लोग तैयार नहीं हुए. इस बीच ग्रेजुएशन के दौरान कोविड के चलते उन्हें अपने घर लौटना पड़ा. कोरोना संक्रमण काल में शरीर के बढ़ते वजन के चलते उन्हें साइकिलिंग की प्रेरणा मिली.
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स्कूलों में जाती हैं मुस्कान: मुस्कान रघुवंशी ने बताया कि साइकिलिंग लिए अपने परिजनों को मानसिक रूप से तैयार किया और फिर उन्होंने पहले इसकी प्रैक्टिस भोपाल में 10 से 20 किलोमीटर साइकिलिंग करके शुरू की. बाद में 1 फरवरी को वह कश्मीर पहुंची और यहां से वह अपनी यात्रा पर कन्याकुमारी के लिए निकली हैं. साइकिलिंग के दौरान मुस्कान रघुवंशी बच्चों के स्कूल में भी जाती हैं और उन्हें कुछ अलग करने की प्रेरणा भी देती हैं. मुस्कान ने कहा कि वह समाज के विभिन्न वर्गों में लड़कियों की स्थिति को जानने और समझने के लिए भी अपनी यह दुर्गम यात्रा कर रही हैं.
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25 दिनों में 4 हजार KM की यात्रा: उनके साथ ही कार में मामा और 2 भाई भी चल रहे हैं. बीच में वे कुछ देर के लिए रुक कर अपनी साइकिल की मरम्मत भी करवाती हैं. जितनी दूरी की यात्रा वे दिन के उजाले में पूरी कर लेती हैं उसके बाद अपने मुकाम पर वे रात गुजारने के लिए रुक जाती हैं. हल्का भोजन करने और कुछ देर आराम के बाद फिर उनकी यात्रा अगले पड़ाव के लिए शुरू हो जाती है. 25 दिनों में करीब 4 हजार किलोमीटर की यात्रा एक युवती के लिए बेहद मुश्किल था. लेकिन बुलंद हौसलों के चलते मुस्कान अपनी इस यात्रा को अंजाम तक पहुंचाना चाहती है.