ग्वालियर।मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने फिलहाल पटवारी परीक्षा में हुए फर्जीवाड़े की जांच सीबीआई से कराने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पहले से ही इसमें सरकार ने जांच कमेटी गाठित कर दी है. इसलिए सरकार की जांच रिपोर्ट का इंतेजार करिए. उसके मामले को देखा जाएगा. वहीं, दूसरी ओर पटवारी परीक्षा के साथ अन्य परीक्षाओं में फर्जी विकलांग सार्टिफिकेट के मामले में मुरैना कलेक्टर को जांच के आदेश दिए है. साथ ही कोर्ट ने पिटीशनर उमेश बोहरे से कहा है कि आपकी जो शिकायत है, वो मुरैना कलेक्टर से करें, जब कार्रवाई न हो वह कोर्ट आएं.
विकलांग सर्टिफिकेट को लेकर हाईकोर्ट की थी याचिका दायरः दरअसल मध्यप्रदेश में पटवारी सहित शिक्षक और वन कर्मी परीक्षा में धांधली मामले में हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में एक जनहित याचिका दायर की गई थी. इन सभी नियुक्तियों में तथाकथित फर्जी रूप से बनाए गए विकलांग सर्टिफिकेट को लेकर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका दायर की गई थी. एडवोकेट उमेश कुमार बोहरे ने दायर की जनहित याचिका में कहा था, ''सीएमएचओ कार्यालय मुरैना द्वारा बनाए गए विकलांग सर्टिफिकेट में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है. इसलिए साल 2003 से 2023 तक जारी सभी विकलांग सर्टिफिकेट का पूरा रिकॉर्ड जब्त करने की याचिका में मांग की गई थी.'' याचिका में इस बिंदु को भी प्रमुखता से उठाया गया था कि सीएमएचओ कार्यालय मुरैना में कान और आंखों से संबंधित विकलांगता के बारे में पटवारी सहित शिक्षा विभाग और वन कर्मी की परीक्षा में आवेदकों को तथाकथित फर्जी रूप से विकलांग प्रमाण पत्र जारी किए हैं और इसमें बड़े स्तर पर रुपए का लेनदेन हुआ.
मुरैना में बनाए गए सबसे ज्यादा फर्जी प्रमाणपत्रःयाचिकाकर्ता उमेश बोहरे ने बताया है कि, ''2003 से लेकर 2023 तक विकलांग सर्टिफिकेट के आधार पर मध्य प्रदेश में पटवारी शिक्षाकर्मी वन कर्मी में संभवत भर्ती हुई है और सबसे ज्यादा फर्जी प्रमाणपत्र मुरैना में बनाए गए हैं.'' उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई है कि, ''सन 2003 से लेकर 2023 तक सर्टिफिकेट के आधार पर जो नियुक्तियां हुई है. उनको निरस्त किया जाए, जिनमें सारे विकलांग सर्टिफिकेट का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाए.''