ग्वालियर।जिले में कलाकार और कलाकारों का एक अनूठा संगम इन दिनों देखने को मिल रहा है. ग्वालियर की विरासत और हेरिटेज को अपने कैनवास पर कूची, ब्रश और पेंटिंग के माध्यम से उतार रहे हैं. सबका प्रयास है कि ग्वालियर की धरोहर और संस्कृति आमजन के बीच अधिक से अधिक पहुंचे. इस कला और कलाकृतियों का प्रमोशन तो हो ही साथ ही कला और कलाकारों को भी महत्व मिले. इस कला को प्लेटफार्म भी दिया है, एक कलाकार पत्नी के निधन के बाद उसके कला प्रेमी पति ने. आइए समझते हैं पूरी कहानी...
बसंती जोशी की स्मृति में लगा शिविर: ग्वालियर के ऐतिहासिक बैजाताल परिसर में अलग-अलग विद्या के कलाकार अपना एक-एक ऑब्जेक्ट और थीम लेकर बैठे हैं. सबकी कोशिश है कि सामने जो तस्वीर असल में दिखाई दे रही है, उसे कैनवास पर उतारा जाए. ताकि ग्वालियर के हेरिटेज के स्वरूप को और अधिक महत्व मिले. पेंटिंग्स के माध्यम से उसका प्रमोशन भी हो. यह पूरा खुला रंगमंच और खुली कार्यशाला एक समय की जाने-माने कलाकार डॉ. बसंती जोशी (बक्षी) की स्मृति में कला रंगोत्सव के तहत कला शिविर में देखने को मिल रहा है.