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सीएम का आदेश पालन कराने के लिए ग्वालियर प्रशासन सक्रिय, क्या हुआ धर्मगुरुओं की बैठक में - ग्वालियर में धर्मगुरुओं की बैठक

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश मिलते ही ग्वालियर जिला प्रशासन ने खुले में मांस बिकने से रोकने के साथ ही लाउड स्पीकर की आवाज सीमित करने के लिए प्रयास शुरू कर दिए. इन आदेशों का पालन कराने के लिए टीमें गठित की गई हैं.

Gwalior Administration active
सीएम का आदेश पालन कराने के लिए ग्वालियर में प्रशासन सक्रिय

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 14, 2023, 6:56 PM IST

सीएम का आदेश पालन कराने के लिए ग्वालियर में प्रशासन सक्रिय

ग्वालियर।मुख्यमंत्री मोहन सिंह यादव‌ के सबसे पहले आदेश के मुताबिक पूरा प्रशासनिक अमला उसे पालन कराने में जुट गया है. गौरतलब है कि सीएम मोहन यादव ने अपने पहले आदेश के अनुसार मध्यप्रदेश में खुले में मांस विक्रय पर रोक लगा दी है. वहीं दूसरी ओर उन्होंने धर्म स्थलों पर पर लगे लाउडस्पीकर द्वारा लगातार ध्वनि प्रदूषण फैलाने को लेकर भी निर्देश जारी किए हैं. इसके साथ ही पुलिस, प्रशासन, नगर निगम और पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की संयुक्त टीमें बनाई गई हैं. जो सभी इलाकों में मॉनीटरिंग करेंगी, हालांकि मुस्लिम समाज के धर्मगुरुओं ने इसका आंशिक विरोध किया है.

प्रशासन का अमला एक्शन में :मुख्यमंत्री मोहन सिंह यादव के आदेश के बाद पूरा पुलिस प्रशासन अमला‌ एक्शन में आ गया है. प्रभारी कलेक्टर अंजू सिंह और एसएसपी राजेश सिंह चंदेल ने हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई समाज के धर्मगुरुओं और पुलिस प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक कर समझाइश दी. वहीं डीजे साउंड और मैरिज गार्डन वालों को बुलाकर ध्वनि प्रदूषण संबंधी गाइडलाइन का पालन करने की बात कही है. वहीं, खुले में मांस मछली‌ बेचने पर पूरी तरह प्रतिबंध की बात करते हुए एडीएम और प्रभारी कलेक्टर अंजू सिंह ने कहा कि आदेश का पालन कराया जाएगा.

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जिला प्रशासन के ये तर्क :जिला प्रशासन का कहना है कि लोगों के‌ स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ न हो और इसके लिए मांस मछली‌ बेचने वालों को बिना लाइसेंस मांस विक्रय पर रोक लगाने, मांस मछली की दुकानों पर अपारदर्शी शीशे लगाने की सलाह दी है. वहीं खुले में मांस का वेस्टेज फेंकने पर कार्रवाई की बात भी कही. वहीं मुस्लिम धर्मगुरु और शहर काजी अब्दुल अजीज कादरी का कहना है कि खुले में मांस बेचने पर प्रतिबंध का फैसला पूरी तरह ग़लत है क्योंकि छोटे स्तर के दुकानदार न तो दुकान किराये पर ले सकता है और न ही लाइसेंस बनवा‌ सकता है.

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