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कोरोना की दूसरी लहर के बाद लगे प्लांट धूल खा रहे, अस्पताल ने बाजार से खरीदी 1 साल में 4 करोड़ की ऑक्सीजन

ग्वालियर के जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में ऑक्सीजन की भारी मात्रा में खपत हो रही है. यहां पर कोरोना की दूसरी लहर में शासन ने 5 पीएसए प्लांट लगाए थे, जिसमें से अब 2 प्लांट बंद पड़े हैं. इसी वजह से प्लांट होने के बावजूद भी कॉलेज-अस्पताल प्रबंधन को ऑक्सीजन पर हर साल करोड़ों रूपए खर्च करना पड़ रहा है(huge amount oxygen consumed in Gwalior). इस पर कांग्रेस के नेता सतीश सिकरवार ने सवाल उठाए हैं.

kamalaraja hospital huge amount oxygen consumed
ग्वालियर में भारी मात्रा में ऑक्सीजन की खपत

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Published : Jan 2, 2023, 5:47 PM IST

Updated : Jan 4, 2023, 7:37 PM IST

ग्वालियर जयारोग्य कमलराजा अस्पताल

ग्वालियर। कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की किल्लत की तस्वीरें विचलित करनी वाली थी. जिसके बाद लोगों के हाहाकर की वजह से आनन-फानन में ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किए गए थे. मकसद था कि ऑक्सीजन अस्पताल में खुद बनाई जाए, बाजार से न खरीदना पड़े. बावजूद इसके मध्य प्रदेश के ग्वालियर के जयारोग्य अस्पताल समूह में बीते 1 साल में 4 करोड़ 32 लाख से ज्यादा की ऑक्सीजन मरीजों को इस्तेमाल हुई. ऐसे में सवाल यही है कि(Kamalaraja hospital huge amount oxygen consumed), उन ऑक्सीजन प्लाटों का क्या हुआ है, जो इस मकसद से लगाएं गए थे कि बाहर से ऑक्सीजन खरीदनी नहीं पड़ेगी.

ऑक्सीजन पर हो रहे पैसे खर्च पर कांग्रेस ने उठाए सवाल:ग्वालियर के जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज 1 साल में 4 करोड़ 32 लाख से अधिक की ऑक्सीजन का इस्तेमाल कर चुके हैं. हालत ये है कि लिक्विड ऑक्सीजन की खपत जयारोग्य-कमलाराजा अस्पताल में कम होने का नाम नहीं ले रही है, क्योंकि अस्पताल में शासन ने जो पांच पीएसए प्लांट लगाए थे उसमें से दो प्लांट बंद पड़े हुए हैं. इसी वजह से प्लांट होने के बावजूद भी कॉलेज-अस्पताल प्रबंधन को ऑक्सीजन पर हर साल करोड़ों रूपए खर्च करना पड़ रहा है(huge amount oxygen consumed in Gwalior). जिस पर बीजेपी के सांसद विवेक शेजवलकर चिंतित हैं, तो वहीं कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने सवाल उठाए हैं.

ऑक्सीजन की खपत ज्यादा:पीएसए ऑक्सीजन के प्लांट मेंप्रेशर स्विंग एड्जॉर्ब शन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जाता है. पीएसए प्लांट में हवा से ही ऑक्सीजन बनाने की अनूठी टेक्नोलॉजी होती है. इसमें एक चेंबर में कुछ एड्जॉर्बेट डालकर उसमें हवा को गुजारा जाता है, जिसके बाद हवा का नाइट्रोजन एड्जॉर्बेट से चिपककर अलग हो जाता है और ऑक्सीजन बाहर निकल जाती है. इस कॉन्सेंट्रेट ऑक्सीजन की ही अस्पताल को आपूर्ति की जाती है, लेकिन सवाल यही है जब ये ऑक्सीजन बनाने के प्लांट लगाएं गए है, तो फिर बाजार से ऑक्सीजन क्यों खरीदना पड़ रही है? क्या ये खपत कागजों में तो नहीं है, जिससे मोटी रकम का उपयोग किया जा रहा हो?

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ऑक्सीजन गैस से महंगी बिजली: जयारोग्य अस्पताल के जिम्मेदार और गजराराजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ अक्षय निगम से बात हुई तो उनका कहना है कि एक प्लांट बंद है, बाकि चालू है. बाजार से ऑक्सीजन खरीदनी पड़ रही है, तो उसमें दिक्कत क्या है, क्योंकि ऑक्सीजन तो मरीजों में लग रही है. साथ ही उनका कहना है कि, ऑक्सीजन गैस से महंगी तो बिजली है. जितनी ऑक्सीजन का हम पीएसए प्लांट को चलाकर उत्पादन करते हैं, उससे ज्यादा हमारा बिजली का बिल आ जाता है. यानी हम कह सकते हैं कि ऑक्सीजन गैस से महंगी तो बिजली है.

Last Updated : Jan 4, 2023, 7:37 PM IST

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