ग्वालियर। पानी में कोई भी पत्थर फेंको एक पल में डूब जाएगा, लेकिन पत्थर से बनी यह नाव पानी में डूबती नहीं है बल्कि तैरती रहती है. मूर्तिकार का कहना है कि जब नाव में खुद भगवान श्रीराम सवार हैं तो यह कैसे डूबेगी. पत्थर की इस नाव का वजन है साढ़े चार किलो फिर भी यह तैरती है. ग्वालियर के मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा चाहते हैं कि यह नाव अयोध्या में रामलला के मंदिर परिसर में स्थापित हो.
पानी में डूबती नहीं है यह नाव: अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा का समारोह है. ग्वालियर के मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने पत्थर की एक ऐसी नाव तैयार की है जो पानी में तैरती है और तो और इसका वजह है साढ़े चार किलो. दीपक चाहते हैं उनकी यह नाव रामलला मंदिर परिसर में स्थापित हो ,ताकि यहां आने वाले श्रद्धालु नाव में सवार प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और केवट को पानी में तैरते हुए दर्शन कर सकें. राम मंदिर परिसर अयोध्या में स्थापित करने का उन्होंने आग्रह किया है.
दीपक विश्वकर्मा ने तैयार की है नाव: नेशनल अवार्डी मूर्तिकार दीपक विश्वकर्मा ने यह नाव तैयार की है. उन्होंने बताया कि ग्वालियर मिड स्टोन से इसे तैयार किया गया है. 45 किलो की शिला से तराशकर इसे साढ़े 4 किलो बनाया गया है. इस पत्थर की नाव में प्रभु श्रीराम, माता जानकी, लक्ष्मण जी और केवट को नाव चलाते हुए दिखाया गया है. खास बात यह है कि इस पत्थर की नाव की सराहना राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सहित कई बड़े राजनेता कर चुके हैं. उनका दावा है कि यह पत्थर से बनी विश्व की पहली ऐसी नाव है जो पानी में तैरती है.