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Gwalior कोर्ट ने बलात्कार मामले में सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को किया निरस्त, आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से किया तलब

ग्वालियर में विशेष पास्को एक्ट कोर्ट ने सीबीआई की उस खात्मा रिपोर्ट (क्लोजर रिपोर्ट) को अस्वीकार कर दिया, जिसमें नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने वाले आरोपितों को दोष मुक्त कर दिया था. कोर्ट ने सीबीआई से 4 बिंदुओं पर नए सिरे से जांच करके जवाब मांगा है.

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सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को किया निरस्त

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Published : Nov 25, 2022, 10:30 PM IST

ग्वालियर। शहर के बहुचर्चित दलित किशोरी के साथ दुष्कर्म और मारपीट के मामले में विशेष पास्को एक्ट कोर्ट (Special Posco Act Court) ने सीबीआई द्वारा प्रस्तुत खात्मा रिपोर्ट को खारिज कर दिया है. कोर्ट ने खुद ही इस मामले पर संज्ञान लेते हुए सभी आरोपियों को गिरफ्तारी वारंट से तलब किया है. अब इस मामले पर सुनवाई 10 दिसंबर को होगी. मामले में गंगा सिंह भदौरिया, उसके पोते आदित्य भदौरिया और रामवीर को आरोपी बनाया गया था. कोर्ट के ताजा निर्देश से आरोपियों और संबंधित पुलिसकर्मियों की नींद उड़ गई है.

सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को किया निरस्त

जनवरी 2021 में नाबालिग से किया गैंगरेप:दरअसल उपनगर मुरार में रहने वाले गंगा सिंह भदौरिया के घर पीड़ित नाबालिग लड़की साफ सफाई का काम करती थी. 31 जनवरी 2021 को गंगा सिंह का पोता आदित्य भदौरिया और उसके दोस्त रामवीर उर्फ श्यामू ने उसके साथ दुष्कर्म किया था. इस घटना को लेकर उन्होंने नाबालिग लड़की को धमकाया भी था. खास बात यह है कि मुरार थाने के तत्कालीन प्रभारी अजय सिंह पवार ने नाबालिग लड़की की फरियाद सुनने के बजाय उसके साथ मारपीट की थी. यह आरोप लड़की ने अपने इकबालिया बयान में मजिस्ट्रेट के सामने लगाया था.

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कोर्ट ने सीबीआई की खात्मा रिपोर्ट को किया खारिज: हाईकोर्ट में जब यह मामला गया तब कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट ने इस मामले से जुड़े पुलिस के अनुविभागीय, विभागीय अधिकारी, नगर निरीक्षक तथा अन्य पुलिसकर्मियों को ग्वालियर ही नहीं बल्कि ग्वालियर चंबल संभाग से बाहर भेजने के निर्देश दिए थे, और मामले को 23 जून 2021 को सीबीआई के सुपुर्द कर दिया था. 26 अगस्त 2022 को सीबीआई ने मामले में न्यायालय में अपनी क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी. कोर्ट ने सीबीआई की इस खात्मा रिपोर्ट को खारिज कर दिया है.

4 बिंदुओं पर कोर्टस ने मांगा जवाब: विशेष कोर्ट ने सीबीआई से 4 बिंदुओं पर नए सिरे से जांच करके जवाब मांगा है, जिसमें पीड़ित लड़की की उम्र संबंधित, डीएनए रिपोर्ट से संबंधित जानकारी, मुरार सीएसपी द्वारा लड़की के मेडिकल कराने वाले संबंधित अधिकारी का नाम सहित कई बिंदु शामिल हैं. खास बात यह है इतने संवेदनशील मामले में सीबीआई ने एक तरह से जज की भूमिका अदा करते हुए सभी आरोपियों को क्लीन चिट दे दी थी और लड़की के बयान को भी उसने झूठा करार दिया था. अब फरियादिया के वकील इस मामले में सीबीआई को पक्षकार बनाने के बारे में विचार कर रहे हैं.

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