ग्वालियर। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने एक फौजी की याचिका पर उसके नवजात का DNA (Deoxyribo-nucleic acid) टेस्ट कराने का आदेश दिया है. फौजी का आरोप है कि कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल में IVF (In Vitro Fertilization) तकनीक के जरिए उसकी पत्नी को संतान हुई है. अस्पताल में पहले उनको बताया गया कि बेटा हुआ है, तीन दिन तक असप्ताल में बेटे का पालन पोषण भी किया गया. लेकिन जब डिस्चार्ज की बारी आई तो उन्हें डिस्चार्ज टिकट पर फीमेल बताकर एक लड़की दे दी गई.
बेटे की चाह में अपनाई IVF तकनीक
अस्पताल के खिलाफ याचिका लद्दाख में तैनात फौजी की पत्नी मंजू तोमर ने लगाई है. जानकारी के मुताबिक मंजू तोमर को पहले से एक बेटी है. ऐसे में उसने लड़के की चाह में मुरार स्थित कल्याण मेमोरियल हॉस्पिटल के डॉ. केजी शर्मा और प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. भावना शर्मा से संपर्क किया था. इसके बाद IVF तकनीक के जरिए मंजू तोमर को गर्भ धारण कराया गया था. जब तोमर को प्रसव हुआ तो, उसे दस्तावेजों में लड़के का हवाला देकर एक लड़की दे दी गई.
ज्यादा पैसे नहीं देने पर थमाई गई लड़की
मंजू तोमर का पक्ष रख रहे अधिवक्ता एचके शुक्ला ने बताया कि अस्पताल प्रबंधन लड़का देने के लिए 70 हजार रुपए और देने का दबाव बना रहा था. जब याचिकर्ता ने कहा कि उसके पास इतने पैसे नहीं है तो, अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि फिलहाल आप ये लड़की ले जाइए. अभी लड़के का इलाज चल रहा है, जब वह ठीक हो जाएगा तो आप ले जाना.