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Gwalior रामचरित मानस की प्रतियां जलाने पर भड़के अवधूत बाबा अरुण गिरी महाराज

एनवायरमेंट बाबा के नाम से प्रसिद्ध विख्यात अवधूत बाबा अरुण गिरी महाराज का कहना है कि यूपी में रामचरित मानस की प्रतियां जलाना बहुत दुखद है. अपने ही धर्म के लोग ऐसा कर रहे हैं, ये बहुत शर्मनाक है. किसी और धर्म का ग्रंथ जलाकर दिखाएं तो पता चल जाएगा. सनातन धर्म के लोग गंभीर व सहनशील हैं. इसलिए सहन कर जाते हैं.

Avdhoot Baba Arun Giri Maharaj furious
भड़के अवधूत बाबा अरुण गिरी महाराज

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Published : Feb 4, 2023, 4:52 PM IST

भड़के अवधूत बाबा अरुण गिरी महाराज

ग्वालियर।ग्वालियर की धरा पर दस महाविद्या हवनात्मक महायज्ञ का आयोजन 12 से 20 अप्रैल के बीच किया जाएगा. प्रसिद्ध महायोगी पायलट बाबा के शिष्य एवं एनवायरमेंट बाबा के नाम से प्रसिद्ध विख्यात अवधूत बाबा अरुण गिरी महाराज ने शुक्रवार को ग्वालियर में मीडिया से मुखातिब होते हुए. कहा कि इस दस महाविद्या हवनात्मक 108 कुंडीय महायज्ञ का आयोजन प्रतिदिन सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक किया जाएगा. जिसमें बड़ी संख्या में सनातन धर्म के अनुयायी और साधु संत हिस्सा लेंगे. संतवाणी नामक चैनल पर इन नौ दिनों तक सीधा प्रसारण भी किया जाएगा.

संत समाज आहत है :रामचरितमानस की प्रतियां जलाने और विवादित बयानों से संत समाज आहत है और इसे अनुचित कृत्य मान रहा है. एनवायरमेंट बाबा ने सनातन धर्म पर हो रहे हमलों को लेकर कहा कि वह तो सदैव होता आया है. धर्म को कोई हिला नहीं सकता है, धर्म बड़ा मजबूत है. हम लोग उसके चौकीदार हैं. उस पर इन तथाकथित हमलों से कुछ नहीं होता. सभी को बोलने का अधिकार है, सभी की जिह्वा चलती है. उनसे पूछा गया कि यूपी में रामचरितमानस की प्रतियां जलाई गई हैं, इस पर आपका क्या कहना है तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए था.

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फिर से गुमामी की ओर बढ़ रहे हैं :उनका कहना है कि सनातन धर्म में लोग बेहद सुलझे हुए होते हैं. सभी का आदर सम्मान करते हैं. उन्होंने कहा कि किसी दूसरे धर्म को जला के बताएं तो फिर जानें, उन्हें भी पता चल जाएगा. ऐसा नहीं होना चाहिए था. हमारे धर्म के कोई और नहीं, हमारे अपने ही विरोधी हैं. तभी तो भारत गुलाम हो गया था. मुठ्ठीभर अंग्रेजों ने देश पर कब्जा कर लिया था, क्योंकि हम सभी एक नहीं हो पाए थे. इसलिए ऐसा नहीं होना चाहिए. अभी देश को आजाद हुए 75 साल ही हुए हैं. ऐसा ना करें कि आने वाली पीढ़ी गुलाम हो जाए. इसलिए संत महापुरुष संस्कार, संस्कृति और सभ्यता को मजबूत कर रहे हैं.

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