ग्वालियर।किसी भी देश की सेना का सबसे प्रमुख अंग वायुसेना होता है. आज भारतीय वायुसेना दिवस (Indian Air Force Day) है. इस मौके पर पूरा देश वायु सेना द्वारा विभिन्न युद्धों में दिखाए गए शौर्य और पराक्रम के सुनहरे पलों को याद कर रहा है. पूरे देश भर के साथ-साथ वायु सेना के लिए ग्वालियर भी एक महत्व स्थान रखता है. ग्वालियर में वायु सेना का एयरवेज स्टेशन (Gwalior Airways Station) है और यह देश स्टेशन बाकी एयरवेज स्टेशनों से बहुत खास है. यह एक मात्र एयरवेज स्टेशन है जो दुश्मनों की रडार से बाहर है. ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन (Maharajapura Airforce Station) 1984 में बना था और अब तक हुए युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुका है. वहीं दो साल पहले फरवरी में हुई एयर स्ट्राइक (Air Strike) के दौरान भी ग्वालियर एयरबेस ने अहम रोल निभाया था.
भारतीय वायुसेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयरफोर्स स्टेशन
ग्वालियर एयरवेज स्टेशन वायु सेना के मिराज विमानों का सबसे बड़ा एयर फोर्स स्टेशन है. 20 साल पहले साल 1999 में कारगिल युद्ध में मिराज विमान ने इतिहास रच दिया था. कारगिल युद्ध के समय मिराज विमानों ने ग्वालियर से उड़ान भरकर 30 हजार फीट की ऊंचाई से पाकिस्तान पर हमला किया था. इस दौरान मिराज विमानों से लेजर गाइडेड बम का इस्तेमाल किया गया था.
ग्वालियर एयरवेज स्टेशन ने कई युद्धों में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
ग्वालियर का महाराजपुरा एयरफोर्स स्टेशन 1942 में बना था. इस खास एयरबेस ने भारत के कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. 1965 और 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में ग्वालियर के महाराजपुरा एयरफोर्स से लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी थी. कारगिल युद्ध के समय ऑपरेशन 'सफेद सागर' में कारगिल की पहाड़ियों में छिपे दुश्मन को मारने की जिम्मेदारी ग्वालियर के महाराजपुरा एयरबेस पर तैनात मिराज विमानों के स्क्वाड्रन को सौंपी गई थी.