ग्वालियर। चंबल का नाम सुनते ही लोगों के दिल और दिमाग में बीहड का खौंफ और बागी डकैतों की तस्वीर सामने आ जाती है. क्योंकि इस अंचल में कुछ समय पहले कंधों पर बंदूक रखे डकैतों का बोलबाला हुआ करता था. इस अंचल में अब डकैत तो नहीं रहे, लेकिन आज भी यहां के लोगों के लिए बंदूक सबसे पसंदीदा (Gun culture) हथियार है. यही वजह है कि चंबल अंचल कि लोग बंदूक को शान और रुतबे से जोड़कर देखते हैं.
सबसे ज्यादा बंदूकें चंबल अंचल में
ग्वालियर चंबल अंचल के लगभग हर घर में लाइसेंसी बंदूक आपको देखने को मिल जाएगी. यही वजह है कि अंचल में मध्य प्रदेश की सबसे अधिक 70% लाइसेंसी बंदूकें हैं. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.
50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग
ग्वालियर चंबल अंचल के ग्वालियर, मुरैना और भिंड ये तीन जिले ऐसे हैं, जहां सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक पाई जाती है. यही वजह है कि यहां पर सबसे ज्यादा लाइसेंसी बंदूक बनवाने के लिए आवेदन पेंडिंग रहते हैं. आंकड़ों की बात करें तो ग्वालियर में 35 हजार लाइसेंसी बंदूक जबकी मुरैना में 27 हजार और भिंड में 40 हजार लाइसेंसी बंदूक लोगों के पास हैं. यहां हर साल 50 हजार से अधिक लाइसेंसी आवेदन पेंडिंग होते हैं. ग्वालियर चंबल अंचल में सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार ग्वालियर, मुरैना, भिंड, दतिया और श्योपुर में पाए जाते हैं.
80 प्रतिशत लाइसेंसी बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए
ग्वालियर चंबल अंचल में हर घर में लाइसेंसी बंदूक मौजूद है और यह बंदूक सिर्फ शान और रुतवे के लिए है. ग्वालियर चंबल अंचल के लोग जब किसी शादी समारोह में जाते है तो वह अपनी शान के लिए लाइसेंसी बंदूक को अपने कंधे पर जरूर लटकाते हैं. बाकी उनकी बंदूकें बंद कमरे में साल भर धूल खाती रहती है. लाइसेंसी बंदूक ग्वालियर चंबल अंचल में कोई भी उपयोग नहीं है. हलांकि 20 से 30% ऐसे लोग हैं जो अपनी लाइसेंसी बंदूक के जरिए सिक्योरिटी गार्ड या गनमैन की नौकरी कर रहे हैं.