ग्वालियर।मध्यप्रदेश की 28 विधानसभा सीटों में होने वाले उपचुनाव की रणभेरी बज चुकी है. ऐसे में सभी पार्टियां वोटरों को लुभाने में जुटी हैं. इस चुनाव में किसान के अलावा बेराजगारी और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति एक बड़ा मुद्दा है. एक ओर जहां बेरोजगार संघ आचार संहिता लगने के पहले नोटिफिकेशन निकालने की मांग कर रहा था. वहीं चयनित अतिथि शिक्षक व अतिथि विद्वान नियुक्ति और नियमितीकरण की मांग कर रहे थे. जिस पर प्रदेश सरकार की तरफ से बार-बार आश्वासन भी दिया जाता रहा. लेकिन कुछ होता उससे पहले आचार संहिता लग गयी. ऐसे में नियमित शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से एक निश्चित टाइम बाउंड नियुक्तियां की जाने की मांग की है. यदि ऐसा संभव नहीं होता है तो वे आने वाले उपचुनाव में बीजेपी के खिलाफ सड़कों पर उतरने और चुनाव का बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. जबकि इन शिक्षकों ने चेतावानी कांग्रेस को भी दे रखी है.
नहीं हो किया जा रहा नियमित
अतिथि विद्वानों का कहना है कि पहले आठ साल तक वैकेंसी का इंतजार किया और अब दो साल से नियुक्ति का इंतजार कर रहे हैं. दोनो पार्टियों ने हमको फुटबाल बनाकर रख दिया है. पहले कांग्रेस ने कुछ नहीं किया अब बीजेपी भी कोई सुनवाई नहीं कर रही है. ऐसे में हम चुनाव का बहिष्कार कर सकते हैं. नियमित शिक्षक संघ का कहना है कि हम लोगों ने 2018 में पात्रता परीक्षा पास की थी. तब से अब तक दो सरकारें बदल गईं लेकिन उनकी नियुक्तियां अभी तक नहीं हो पाईं. उन्होंने बताया कि जब वे आंदोलन कर रहे थे तो प्रदेश सरकार के कुछ मंत्री भी धरने पर पहुंचे थे और उचित आश्वासन दिया था. वहीं बीजेपी के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मांगों को पूरा करने की बात कर चुके हैं. लेकिन आजतक वादे पूरे नहीं हुए. उनका कहना है कि आचार संहिता में सरकार कुछ नहीं कर सकती तो कोई ठोस आश्वासन तो दे सकती है.
कांग्रेस ने वादा नहीं निभायाः बीजेपी