ग्वालियर के आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा, नकली सर्टिफिकेट बनाकर सॉलवर से दिलाया था एग्जाम, आरोपियों को 4 साल की सजा - ग्वालियर फर्जी दस्तावेज से दिया कांस्टेबल एग्जाम
ग्वालियर से एक मामला सामने आया है, जहां एक ही नाम के 2 युवकों ने फर्जी तरीके से फर्जी दस्तावेज बनाकर सॉल्वर के जरिए आरक्षक भर्ती परीक्षा दिलवाई थी. यहां तक की माता-पिता के नाम से लेकर हाई स्कूल के नाम भी समान थे. इसकी वजह से इस पर सीबीआई का ध्यान गया. जिसके बाद जांच में पता चला की ये फर्जी तरीके से 2012 में हुए आरक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल हुए थे.
ग्वालियर के आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा
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Published : Mar 5, 2023, 4:17 PM IST
ग्वालियर के आरक्षक भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा
ग्वालियर।सीबीआई की विशेष अदालत ने एक ही नाम वाले 2 ऐसे युवकों को 4 साल की सजा से दंडित किया है, जिन्होंने अपने स्थान पर फर्जी परीक्षार्थियों को आरक्षक भर्ती की प्रतियोगिता में शामिल कराया था. खास बात ये है कि नरेंद्र सिंह जादौन नाम के इन 2 युवकों के स्कूल के सर्टिफिकेट मुरैना के जौरा कस्बे के एक ही स्कूल के बने हुए हैं. यहां उनके पिता के नाम भगवान सिंह जादौन और मां का नाम कैलाशी बाई तक हुबहू है, लेकिन एक का पता चिन्नौनी के थाना क्षेत्र के गुनापुरा का है, तो वहीं दूसरे का जौरा थाना क्षेत्र के ग्राम पिपरौआ का है. इसी की वजह से पुलिस ने इन्हें पकड़ लिया.
फर्जी दस्तावेज के जरिए दे रहा था आरक्षक भर्ती परीक्षा: एक ही नाम के 2 छात्रों के माता-पिता का नाम भी एक ही होने से सीबीआई को शक हुआ था. हैरानी की बात ये है कि, गुनापुरा के रहने वाले कथित नरेंद्र सिंह जादौन का आरक्षक के लिए चयन भी हो गया था, लेकिन नाम एक ही होने से मामला सीबीआई तक की पकड़ में आ गया. इस वजह से मामले की जांच शुरू कर दी गई थी. सीबीआई ने इस मामले की जांच के आदेश मुरैना एसपी आशुतोष बागरी को दिए थे. पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2012 में गुनापुरा के नरेंद्र सिंह जादौन ने जे.एस पब्लिक स्कूल में परीक्षा दी थी और पिपरौआ के नरेंद्र सिंह ने जैन हायर सेकेंडरी स्कूल भिंड में परीक्षा दी थी. इस परीक्षा को 30 सितंबर 2012 में आयोजित किया गया था.
सॉल्वर को बैठाकर दिलाया था आरक्षक भर्ती परीक्षा:खास बात ये है कि इन दोनों नरेंद्र सिंह जादौन नाम के युवकों ने जौरा के जिस जीडी हाई स्कूल से पढ़ाई की थी, उसकी अंकसूची मिलना बताया था. उसके प्राचार्य ने ही इन छात्रों के बारे में कोई रिकॉर्ड स्कूल में होने से साफ इंकार कर दिया था, यानी इन दोनों युवकों ने हाईस्कूल की फर्जी मार्कशीट बनवा कर 2012 में अपनी जगह सॉल्वर को बैठाकर आरक्षक भर्ती परीक्षा में शामिल कराया था. 1 साल बाद सीबीआई की नजर में ये मामला आने के बाद दोनों छात्रों के रिजल्ट को रोक दिया गया था. उनके दस्तावेजों की जांच की गई थी, जिसमें इन दस्तावेजों को फर्जी पाया गया. ओएमआर शीट में भी मूल परीक्षार्थियों के थंब इंप्रेशन को अलग पाया गया था, लेकिन सीबीआई 10 साल की जांच में यह पता नहीं कर सकी कि दोनों नरेंद्र सिंह जादौन नामक युवकों के स्थान पर सॉल्वर बनकर किन लोगों ने परीक्षा दी थी. फिलहाल सीबीआई कोर्ट ने इन दोनों युवकों को फर्जी दस्तावेज तैयार करवाने और अपनी जगह परीक्षा में दूसरे लोगों को बैठाने के अपराध में 4-4 साल की सजा से दंडित किया है. आरोपियों पर कुल 26 हजार से ज्यादा का अर्थदंड भी लगाया है.