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सरकार की तकदीर बदलेंगे किसान ! ग्वालियर चंबल में अन्नदाता वोटिंग के लिए तैयार - Farmers vote effect Gwalior by-election

अंचल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें से ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व, मुरैना और अशोकनगर सीटें ऐसी हैं. जिनमें शहरी क्षेत्र आता है बाकी की सभी सीट पूरी तरीके से ग्रामीण है. इसलिए इन सीटों पर किसान निर्णायक भूमिका में हैं. यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी अन्नदाता को अपने अपने दल के लिए रिझाने में जुटे हुए है. देखिए ईटीवी भारत पर खास रिपोर्ट...

Farmers will decide government
किसान तय करेंगे सरकार

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Published : Oct 27, 2020, 7:27 PM IST

ग्वालियर। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं. इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस सभी का पूरा फोकस ग्वालियर चंबल पर है. हालांकि दोनों ही दलों के समीकरण उपचुनाव में पूरी तरह से गड़बड़ाए हुए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही एक दूसरे के दल में सेंधमारी कर रहे हैं. जिससे वो ज्यादा से ज्यादा सीटे हासिल कर सकें. क्योंकि यही से तय होगा कि मध्य प्रदेश में अगली सरकार की किसकी होगी.

किसान तय करेंगे सरकार

उपचुनाव में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण

ग्वालियर चंबल अंचल की इन सीटों पर किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है, क्योंकि सबसे ज्यादा मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से यानी किसान हैं. यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी अन्नदाता को अपने अपने दल को रिझाने में जुटे हुए हैं. 2018 के चुनाव में जहां कांग्रेस ने कर्ज माफी को पूरे जोर-शोर से उठाया था. जिसका लाभ उन्हें इस अंचल में देखने को मिला था. यही कारण है कि बीजेपी नए कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच में है और किसानों को लुभाने का प्रयास कर रही है.

सीएम शिवराज

2018 में किसानों के मुद्दे पर जीती थी कांग्रेस

अंचल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें से ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व,मुरैना और अशोक नगर सीटें ऐसी हैं. जिनमें शहरी क्षेत्र आता है बाकी की सभी सीट पूरी तरीके से ग्रामीण हैं. 2018 के चुनाव में इन सभी क्षेत्रों से कांग्रेस को अन्नदाताओं का भरपूर साथ मिला था. उसी की बदौलत कांग्रेसी इन सीटों पर काबिज हुई थी. एक बार फिर जब इन सीटों पर चुनाव है तो कांग्रेसी कर्ज माफी का मुद्दा लेकर किसानों के बीच में है.

कृषि बिल

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एक बार फिर किसानों को साधने की कोशिश

कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि 2018 के वचन पत्र में हमने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था और वह वादा हम पूरा भी कर रहे थे, लेकिन सरकार गिरा दी गई. इस उपचुनाव के लिए भी जो वचन पत्र कमलनाथ जी ने जारी किया है. उसमें भी किसानों को एक बार फिर कर्ज माफी की बात कही है. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा कृषि बुलाया गया है. उसका भी कांग्रेस विरोध कर रही है.

किसानों को योजनाओं का लॉलीपॉप

वहीं बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल का कहना है कि शिवराज सिंह की सरकार किसानों की सरकार है और यह सरकार हमेशा किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए योजना बनाती है. चाहे वह किसान सम्मान निधि हो या केंद्रीय कृषि वित्त में संशोधन की बात हो. मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने किसानों के लिए तमाम योजनाएं चलाई हैं. जिससे किसानों को सीधा फायदा मिला है.

किसान तय करेगा किसकी होगी सरकार?

वहीं वरिष्ठ पत्रकार देवश्रीमाली बताते हैं कि यह बात सही है कि ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटों में से 13 से 14 सीटें ऐसी है. जहां पर सबसे ज्यादा इस चुनाव में किसान महत्वपूर्ण भूमिका में रहेगा और यही तय करेगा कि इस अंचल में किस पार्टी की सबसे ज्यादा सीट आती है, लेकिन इस अंचल में किसान दोनों पार्टियों से ही नाराज रहा है, क्योंकि यहां पर घोषणा होती हैं लेकिन किसानों को इसका फायदा नहीं मिलता है.

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सरकार कोई भी हो, किसान फिर भी परेशान

वही अंचल के किसानों का कहना है कि पार्टी चाहे कोई भी हो सब चुनाव में फायदा लेने के लिए किसानों की बात करते हैं. नेता किसी भी दल का हो सब झूठे वादे करते हैं और चुनाव के बाद सब भूल जाते हैं. तीन से चार महीने बाद आकर भी कोई क्षेत्र में आकर नहीं देखता.

भले ही की प्रमुख राजनीतिक दल के लोग अंचल के अन्नदाता को लुभाने में जुटे हुए हैं, लेकिन अन्नदाता अभी चुप्पी साध कर बैठा है और दोनों ही दलों के द्वारा किए जा रहे दावों और वादों को तोड़ने में लगा हुआ है. अब देखना होगा कि आने वाले उपचुनाव में आखिर किस दल को अन्नदाता का साथ मिलता है. इतना तो तय है कि जिस दल को अन्नदाता का साथ मिलेगा उसका अंचल में बेड़ा पार हो जाएगा.

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