ग्वालियर। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में सबसे ज्यादा 16 सीटें ग्वालियर चंबल संभाग की हैं. इसलिए बीजेपी हो या कांग्रेस सभी का पूरा फोकस ग्वालियर चंबल पर है. हालांकि दोनों ही दलों के समीकरण उपचुनाव में पूरी तरह से गड़बड़ाए हुए हैं. बावजूद इसके कांग्रेस-बीजेपी दोनों ही एक दूसरे के दल में सेंधमारी कर रहे हैं. जिससे वो ज्यादा से ज्यादा सीटे हासिल कर सकें. क्योंकि यही से तय होगा कि मध्य प्रदेश में अगली सरकार की किसकी होगी.
उपचुनाव में किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण
ग्वालियर चंबल अंचल की इन सीटों पर किसानों की भूमिका महत्वपूर्ण रहने वाली है, क्योंकि सबसे ज्यादा मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से यानी किसान हैं. यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल के प्रत्याशी अन्नदाता को अपने अपने दल को रिझाने में जुटे हुए हैं. 2018 के चुनाव में जहां कांग्रेस ने कर्ज माफी को पूरे जोर-शोर से उठाया था. जिसका लाभ उन्हें इस अंचल में देखने को मिला था. यही कारण है कि बीजेपी नए कृषि बिल को लेकर किसानों के बीच में है और किसानों को लुभाने का प्रयास कर रही है.
2018 में किसानों के मुद्दे पर जीती थी कांग्रेस
अंचल की जिन सीटों पर उपचुनाव होने वाले हैं उनमें से ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व,मुरैना और अशोक नगर सीटें ऐसी हैं. जिनमें शहरी क्षेत्र आता है बाकी की सभी सीट पूरी तरीके से ग्रामीण हैं. 2018 के चुनाव में इन सभी क्षेत्रों से कांग्रेस को अन्नदाताओं का भरपूर साथ मिला था. उसी की बदौलत कांग्रेसी इन सीटों पर काबिज हुई थी. एक बार फिर जब इन सीटों पर चुनाव है तो कांग्रेसी कर्ज माफी का मुद्दा लेकर किसानों के बीच में है.
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एक बार फिर किसानों को साधने की कोशिश
कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि 2018 के वचन पत्र में हमने किसानों के कर्ज माफ करने का वादा किया था और वह वादा हम पूरा भी कर रहे थे, लेकिन सरकार गिरा दी गई. इस उपचुनाव के लिए भी जो वचन पत्र कमलनाथ जी ने जारी किया है. उसमें भी किसानों को एक बार फिर कर्ज माफी की बात कही है. इसके अलावा केंद्र सरकार द्वारा कृषि बुलाया गया है. उसका भी कांग्रेस विरोध कर रही है.