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धूल के कण शहर की फिजाओं में घोल रहे 'जहर'

जिले में वायु प्रदूषण का स्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा हैं. जीवाजी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जो वायु प्रदूषण को लेकर रिसर्च कर रहे हैं उनका कहना है कि प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण खुदी हुई सड़कों से उड़ने वाले धुएं के कण हैं. इसके साथ ही वाहनों से निकलने वाले धुएं में भी कार्बन के अधजले कणों के साथ रासायनिक पदार्थ मौजूद रहते हैं. शहर में चलने वाली ऑटो और और टेंपो सबसे अधिक संख्या में वायु प्रदूषण का कारण हैं.

Dust mites 'poison' dissolving in the city
धूल के कण शहर की फिजाओं में घोल रहे 'जहर'

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Published : Mar 4, 2021, 7:20 PM IST

Updated : Mar 4, 2021, 9:53 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में भोपाल, इंदौर और जबलपुर के बाद अब ग्वालियर में भी वायु प्रदूषण लगातार तेजी से बढ़ रहा हैं. हालात यह है कि वायु प्रदूषण के मामले में अब ग्वालियर शहर धीरे-धीरे सबसे ऊपर पहुंच रहा है. यहां की हवा में गुणवत्ता मानक से 5 गुना ज्यादा जहर घुल चुका हैं. शहर में वायु प्रदूषण के मुख्य वजह खुदी हुई सड़कों पर धुआं छोड़ते वाहन और फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं हैं. शहर की जहरीली हवा लोगों को बीमार कर रही हैं. हालात यह है की वायु प्रदूषण की बजह से सांस, अस्थमा और दमा कि लोगों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही हैं.

धूल के कण शहर की फिजाओं में घोल रहे 'जहर'
  • शहर में खुदी हुई सड़कें, वायु प्रदूषण का कारण

ग्वालियर शहर में आए दिन नगर निगम या प्रशासन सड़क को खोद देता है. शहर में साल के 365 दिन सड़कें खुदी हुई रहती हैं. इस कारण इन सड़कों पर चलने वाले वाहनों से काफी संख्या में धूल उड़ती हैं. धूल उड़ने से वातावरण में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ रहा हैं. शहर में अमृत योजना के तहत सड़कें बनाई जा रही है. अधिकतर ऐसी सड़कें हैं जो महीनों से खुदी हुई पड़ी हैं, लेकिन अभी तक इन सड़कों पर काम शुरू नहीं हो पाया हैं. यही वजह है कि आए दिन शहर में धूल के गुब्बारे देखे जा सकते हैं. इसके कारण शहर में पीएम 10 लगातार बड़ा हुआ रहता हैं.

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  • पुराने कंडम वाहन भी प्रदूषण का बड़ा कारण

शहर में चलने वाली सबसे ज्यादा कंडम वाहनों की संख्या हैं. इन वाहनों से निकलने वाला धुआं वातावरण में प्रदूषण के स्तर को लगातार बढ़ा रहा हैं. शहर में 15 से 20 साल पुराने कंडम वाहनों की संख्या लगभग 80 हजार के आसपास हैं. जो सड़कों पर अभी भी दौड़ रही हैं. इनसे निकलने वाला धुंआ शहर की शहर की हवा को जहरीला बना रहा हैं. लेकिन इसकी ओर परिवहन विभाग का कोई भी ध्यान नहीं है. इन वाहनों पर परिवहन विभाग नाममात्र के लिए कार्रवाई करता हैं.

  • पीएम 10 का स्तर खतरनाक पीएम 2.5 सामान्य

जीवाजी विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में पदस्थ प्रोफेसर डॉ. एचएस शर्मा का कहना है कि शहर में पीएम 10 (पार्टीकुलेट मैटर) का स्तर खतरनाक हो चुका है. पीएम 10 का स्तर खुदी हुई सड़कों से उड़ने वाले धूल के कणों से बढ़ता हैं. वहीं पीएम 2.5 की बात कि जाए तो पीएम 2.5 का स्तर शहर में सामान्य है. पीएम 10 और पीएम 2.5 का आशय धूल के कणों के आकार से हैं.

  • जनवरी 2021 में ये रही पीएम 10 और पीएम 2.5 की मात्रा
स्थान पीएम 10 पीएम 2.5
महाराज बाड़ा 165.40 85.90
डीडी नगर 122.47 63.15
हजीरा 145.60 80.05
  • जहरीली हवा से बढ़ रहे हैं दमा और सांस के मरीज

वायु प्रदूषण के कारण शहर की हवा जहरीली होती जा रही है. हवा के कारण शहर में दमा, अस्थमा और सांस के मरीजों की संख्या लगातार तेजी से बढ़ रही हैं. वायु प्रदूषण के कारण 60 साल से अधिक बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं. यही वजह है उन्हें शहर में ज्यादा घूमने के लिए डॉक्टर ने पूरी तरह से मना कर दिया हैं.

  • हवा को साफ करने के लिए पहाड़ियों पर लगाए गए थे पेड़

शहर में प्रदूषण को लेकर तत्कालीन ग्वालियर कलेक्टर अनुराग चौधरी ने शहर के आसपास की पहाड़ियों पर 10 हजार से अधिक पौधे लगाए थे. लेकिन इन पौधों की देखभाल न होने के कारण आज यह सब पूरी तरह सूख गए हैं. हालात यह है कि शहर की हवा को शुद्ध करने के लिए जिला प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रही है और ना ही इस ओर किसी का ध्यान हैं.

  • मास्क और गॉगल है अस्थाई समाधान

जीवाजी विश्वविद्यालय के वनस्पति विभाग में पदस्थ प्रोफेसर डॉ. एचएस शर्मा का कहना है कि धूल से बचने के लिए मास्क और गॉगल एक अस्थाई समाधान हो सकता है. लेकिन इस प्रदूषण के स्थाई समाधान के लिए धूल के कणों को वातावरण में फैलने से रोकना होगा.

Last Updated : Mar 4, 2021, 9:53 PM IST

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