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13 साल पहले बनकर तैयार हुई इमारत में आज तक शुरू नहीं हो सकी प्रदेश की इकलौती ड्रग टेस्टिंग लैब

ग्वालियर में आयुर्वेदिक एवं शोध संस्थान परिसर में केंद्र सरकार की योजना के तहत मध्यप्रदेश की इकलौती ड्रग टेस्टिंग लैब का निर्माण 13 साल पहले हो चुका है लेकिन यहां अभी तक दवाओं का परीक्षण शुरू नहीं हुआ है, यहां रखी मशीनें भी कई सालों से बंद कमरे में धूल खा रही हैं.

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Published : May 25, 2019, 11:03 PM IST

प्रदेश की इकलौती ड्रग टेस्टिंग लैब

ग्वालियर। प्रदेश की एकमात्र ड्रग टेस्टिंग लैब अब तक शुरू नहीं हो सकी है. हालांकि आयुर्वेदिक एवं शोध संस्थान परिसर में केंद्र सरकार की योजना के तहत इसका भवन बनकर 2005 में ही तैयार हो गया था. मशीनें 2006 से भवन के कमरों में बंद पड़ी हैं, लेकिन आज तक ये लैब शुरू नहीं हो सका.

13 साल से लैब की मशीनें खा रहीं धूल

ग्वालियर के आयुर्वेदिक कॉलेज एवं शोध संस्थान में डीटीएल यानी ड्रग टेस्टिंग लैब को भारत सरकार की योजना के तहत 2005 में स्थापित किया जाना था, इसके लिए केंद्र सरकार ने हर राज्य में एक डीटीएल के लिए फंड भी जारी किया था और महंगी मशीनें भी मंगाई थी. दुखद पहलू ये है कि भवन बनकर तैयार हैं, और उसमें यह मशीन पिछले 13 सालों से बंद होकर धूल खा रही हैं. साइंटिस्ट और टेक्निकल स्टाफ की कमी के कारण लैब अब तक शुरू नहीं हो सकी. रही सही कसर विधानसभा और लोकसभा चुनावों ने पूरी कर दी. अब एक बार फिर कॉलेज प्रबंधन ने लोक निर्माण विभाग को भवन के जीर्णोद्धार और बिजली फिटिंग को दोबारा किए जाने का निर्देश दिया है. पीडब्ल्यूडी इसके लिए अगले महीने टेंडर जारी करेगा.

प्रदेश की इकलौती ड्रग टेस्टिंग लैब

700 से ज्यादा आयुर्वेदिक कंपनियां की दवाओं का होगा परीक्षण

ड्रग टेस्टिंग लैब में अकेले प्रदेश की 700 से ज्यादा आयुर्वेदिक कंपनियां की दवा की टेस्टिंग की जाएगी. इन दवाओं में आयुर्वेद के अलावा कोई दूसरा एलोपैथिक एलिमेंट तो नहीं है इसकी पुष्टि लैब द्वारा की जाएगी. फिलहाल 6 पोस्टों में से दो साइंटिफिक अधिकारी, नोडल अधिकारी और लैब असिस्टेंट की नियुक्ति की हुई हैं वहीं एक और लैब असिस्टेंट की नियुक्ति की जाना है. इस लैब में केमिस्ट्री और बोटनी के लिए अलग-अलग साइंटिस्ट और लैब असिस्टेंट की नियुक्तियां होनी हैं. आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रबंधन का कहना है कि अब हर हालत में अगले 3 महीनों के अंदर लैब को शुरू किया जाएगा. लेकिन 13 सालों से कमरों में बंद मशीनों की हालत क्या होगी इसे लेकर अधिकारी अभी कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है.

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