ग्वालियर।कुछ लोग अपनी शारीरिक कमजोरी के बावजूद कुछ ऐसा कर गुजरते हैं कि, वो दूसरों के लिए प्रेरणा बन जाते हैं. कुछ ऐसी ही कहानी ग्वालियर के सत्येंद्र सिंह लोहिया की है. जिसने अपनी मेहनत और हुनर के दम पर प्रदेश ही नहीं, बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है. ग्वालियर के एक छोटे से गांव में जन्मा सत्येंद्र, जो बचपन से ही दिव्यांग है, लेकिन उसके सपने बड़े हैं. सत्येंद्र ने हुनर के बलबूते ढेरों पदक अपने नाम कर लिए हैं. जिसकी मेहनत और लगन से राष्ट्रपति से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी भी मुरीद हैं.
सत्येंद्र बना पहला एशियाई दिव्यांग पैरा स्वीमर एशियाई लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
इंटरनेशनल पैरा स्वीमर सत्येंद्र सिंह लोहिया ने 24 जून 2018 को 12 घंटे 24 मिनट में इंग्लिश चैनल पार किया, जो कि एक रिले इवेंट था. इस इवेंट के लिए उनका नाम एशियाई लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ. अमेरिका में 18 अगस्त 2019 को इन्होंने 11 घंटे 34 मिनट में कैटरीना चैनल पार किया. जिसके साथ ही सत्येंद्र टीम इवेंट में इस चैनल को पार करने वाले पहले एशियाई दिव्यांग तैराक बन गए. सत्येंद्र सिंह ने 7 नेशनल पैरा तैराकी चैंपियनशिप में भाग लेकर देश के लिए 24 पदक हासिल किए हैं.
एशिया का सबसे पहला दिव्यांग पैरा स्वीमर
दिव्यांग इंटरनेशनल पैरा स्वीमर सत्येंद्र का जन्म ग्वालियर के एक छोटे से गांव गाता में हुआ, लेकिन बचपन से ही उनके दोनों पैर खराब थे. सत्येंद्र के इरादे मजबूत और हौसले इतने बुलंद थे कि, सब कठिनाइयों को छोड़कर एक मिसाल पेश की और एशिया के सबसे पहले दिव्यांग पैरा स्वीमर बने. दिव्यांग पैरा स्वीमर सतेंद्र सिंह लोहिया के पिता सिक्योरिटी गार्ड हैं.
गोल्ड मेडलिस्ट हैं सत्येंद्र
दोनों पैरों से विकलांग सत्येंद्र सिंह ने 23 जून 2018 को 12 घंटे 24 मिनट में इंग्लिश चैनल पार किया. उसके बाद 18 अगस्त 2019 को इन्होंने 11 घंटे 34 मिनट में कैटरीना चैनल पार किया. इसके साथ ही सत्येंद्र सिंह इवेंट में इस चैनल को पार करने वाले पहले एशियाई दिव्यांग तैराक बन गए. सत्येंद्र सिंह 7 नेशनल तैराकी चैंपियनशिप में भाग लेकर प्रदेश के लिए 24 पदक हासिल किए हैं. इसके बाद तीन अंतरराष्ट्रीय पैरा तैराकी चैंपियनशिप में देश के लिए एक गोल्ड मेडल के साथ कुल 4 पदक हासिल किए हैं.
खतरों से भरा रास्ता
सतेंद्र सिंह ने बताया कि, कैटरीना चैनल पार करना बेहद मुश्किल था. दिन में चलने वाली तेज हवाओं से बचने के लिए रात में तैराकी करनी पड़ती है. इसमें गहराई का अंदाजा नहीं होता, पर सफर के दौरान मिलने वाली चुनौती के बारे में पता होता है. पानी के अंदर शार्क, व्हेल, डॉल्फिन जैसी मछलियां होती हैं. इस कारण ये सफर और भी ज्यादा खतरनाक होता है. सतेंद्र सिंह लोहिया इंग्लिश और कैटरीना चैनल पार करने वाले दिव्यांग कैटेगरी में पहले एशियाई तैराक है.
मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री कर चुके हैं सम्मान
2014 में मध्य प्रदेश की तरफ से सर्वोच्च खेल सम्मान विक्रम अवार्ड से अंतरराष्ट्रीय पैरास्वीमर सत्येंद्र सिंह लोहिया को नवाजा गया. सीएम शिवराज सिंह चौहान ने उनसे मुलाकात की और जमकर तारीफ भी की थी. इसके बाद 3 दिसंबर 2019 को उपराष्ट्रपति द्वारा सर्वश्रेष्ठ पहले दिव्यांग खिलाड़ी का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी इनके नाम है. सत्येंद्र सिंह लोहिया को पीएम नरेंद्र मोदी भी सम्मानित कर चुके हैं. इस 70 प्रतिशत दिव्यांग की कैटेगरी में आने वाले दोनों पैरों से दिव्यांग सत्येंद्र सिंह ने अपनी कमजोरी को ही हुनर बनाकर दिखाया.