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जेसी मिल के श्रमिकों को जल्द मिल सकती है उनकी बकाया राशि, सरकार बना रही प्लान

ग्वालियर की 27 साल पहले बंद हो चुकी जेसी मिल के श्रमिकों की बकाया भुगतान की प्रशासन तैयारी कर रहा है. शासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सरकारी घोषित हुई 702 बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेकर उस पर बने मकानों को हटाकर अपने स्तर पर कमर्शियल एवं आवासीय उपयोग करनेे की योजना बना रहा है.

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Published : Oct 25, 2019, 5:37 PM IST

Updated : Oct 25, 2019, 9:45 PM IST

घोषित सरकारी जमीन को कब्जे में लेने की तैयार जिला प्रशासन

ग्वालियर। कभी ग्वालियर की अर्थव्यवस्था की रीढ़ रही जेसी मिल आज बस खण्डरों की सूरत में दिखाई देता है. मिल बंद हुए 27 साल से भी ज्यादा का वक्त हो चुका है. लेकिन श्रमिकों की बकाया राशि आज भी एक बड़ा राजनैतिक मुद्दा है. बकाया राशि नहीं मिलने से श्रमिक मिल की जमीन पर सालों से कब्जा करे हुए हैं. अब जिला प्रशासन 9 सौ करोड़ की सरकारी जमीन को बचाने के लिए श्रमिकों की बकाया राशि का भुगतान करने जा रहा है.

जेसी मिल के श्रमिकों को जल्द मिल सकती है उनकी बकाया राशि

जमीन का स्वामित्व लेगी सरकार
शासन सुप्रीम कोर्ट के आदेश से सरकारी घोषित हुई 702 बीघा जमीन को अपने कब्जे में लेकर उस पर बने क्वार्टरों को हटाकर अपने स्तर पर कमर्शियल और आवासीय उपयोग करने की योजना बना रही है. इस काम में सबसे बड़ा रोड़ा मिल श्रमिकों की देनदारी है. जिसके भुगतान को लेकर अब सरकार करीब 80 करोड़ रुपये भुगतान करने का प्लान बना रही है. जिसके बाद 900 करोड़ रुपए से अधिक की कीमत की जमीन को कब्जे में लिया जा सकेगा.

सिंधिया रियासत ने जेसी मिल प्रबंधन को दी थी जमीन

जेसी मिल प्रबंधन को 1921 में 702 बीघा जमीन दी गई थी. हाईकोर्ट ने पिछले साल सितंबर में इस जमीन को सरकारी घोषित कर दिया था. इसके बाद मजदूर यूनियन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी. सुप्रीम कोर्ट ने भी उक्त जमीन को सरकारी संपत्ति माना. इसके बाद प्रशासन ने 250 सर्वे नंबरों में इस जमीन को सरकारी दर्ज कर कब्जाधारियों को नोटिस जारी किए थे.

सरकारी जमीन पर बनीं हैं कॉलोनियां
अधिकांश जमीन पर कॉलोनियां बसी हैं और कमर्शियल उपयोग भी हो रहा है. इसके अलावा सरकार इन सबको तोड़ने या हटाने की जगह लोगों से कलेक्टर गाइड लाइन के हिसाब से राशि वसूलने का विकल्प भी अपना सकती है.

Last Updated : Oct 25, 2019, 9:45 PM IST

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