ग्वालियर।राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय कृषि विज्ञान केंद्र के अफसरों और कर्मचारियों का वेतन सहित दूसरे खर्चे उठा रहा है. जो उसके कर्मचारी ही नहीं है. अपनी राजनीतिक पहुंच और अफसरों के चहेते होने या दूसरे कारणों से वो राजमाता कृषि विश्वविद्यालय के मुलाजिम बने हुए हैं. ऐसे एक दो कर्मचारी नहीं है बल्कि इनकी संख्या पूरी 57 बताई गई है. इनकी सैलरी और दूसरे खर्चों पर हर महीने करीब दो करोड़ रुपए का भुगतान विश्वविद्यालय को उठाना पड़ रहा है.
- प्रमुख सचिव ने लगाई थी फटकार
राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय को मध्यप्रदेश शासन और विभागीय प्रमुख सचिव ने फटकार लगाई थी. जिसके बाद इन कर्मचारियों को वापस उनके मूल विभाग भेजने की प्रक्रिया शुरू की गई. इनमें से कुछ कर्मचारियों को भेज भी दिया गया लेकिन कुछ कर्मचारी फिर से विश्वविद्यालय में तैनाती चाहते हैं. कुछ विश्वविद्यालय के वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें वापस बुलाना चाह रहे हैं.
- विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा
इस मामले की शिकायत विश्वविद्यालय कर्मचारी संगठन के पदाधिकारी ने कृषि विभाग के प्रमुख सचिव राज्यपाल और आईसीएआर को की है. उनका कहना है कि कृषि विज्ञान केंद्र पर तैनात रहे इन कर्मचारियों का पे ग्रेड 5400 रुपए था, जिसे विश्वविद्यालय ने बढ़ाकर छह हजार रुपए कर दिया है. लंबे समय से यह अधिकारी और कर्मचारी विश्वविद्यालय में तैनात हैं जबकि कृषि विज्ञान केंद्रों में उनकी तैनाती होनी चाहिए थी. इससे काम प्रभावित हो रहा है. विश्वविद्यालय नई नियुक्तियां नहीं कर पा रहा है.