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Published : Jan 19, 2021, 6:37 PM IST

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युवक पर दर्ज किया झूठा केस, एक टीआई सस्पेंड तो दूसरा लाइन अटैच

ग्वालियर में घटना की जानकारी छुपाने पर ग्वालियर के थाना प्रभारी को SP ने लाइन अटैच कर दिया है. वहीं दतिया जिले के थाना प्रभारी ने झूठे मामले में FIR दर्ज की थी, जिस पर पर दतिया SP ने किया उन्हें सस्पेंड कर दिया है.

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युवक पर दर्ज किया झूठा केस

ग्वालियर।अपनी वर्दी और पावर का रौब जमाना प्रदेश में दो थाना प्रभारियों को काफी भारी पड़ गया. पावर के नशे में चूर एक थाना प्रभारी ने जहां कानून को ताक पर रख दिया. वहीं उनकी इस करतूत में दूसरे क्षेत्र के थाना प्रभारी ने भी उनका साथा दिया. जब उन दोनों थाना प्राभारियों के कांड का भंडा फूटा तो एक को सस्पेंड कर दिया गया. जबकि दूसरे थाना प्रभारी लाइन अटैच हो गए.

युवक पर दर्ज किया झूठा केस

ग्वालियर और दतिया का मिलाजुला मामला

मामला दतिया और ग्वालियर जिले से जुड़ा हुआ है. खास बात यह है कि इस मामले का खुलासा जेल में बंद आरोपी के पिता के शिकायत पत्र से हुआ है. उन्होंने बताया कि पहली बात तो घटना हुई ही नहीं. मेरे बेटे को जबरजस्ती केस में फंसा दिया गया है. मामूली बहस पर मोबाइल लूटने का आरोप लगा दिया, फिर जबरजस्ती दतिया ले गए और वहां हथियार के साथ पकड़ना बताकर जेल भेज दिया. अधिकारी शिकायत पढ़ते ही चौंक गए. जिसके बाद तुरंत इस मामले की जांच की गई तो फिरियादी की बात सही निकाली. फिर क्या, दोनों जिले के थाना प्रभारियों पर गाज गिर गई.

क्या है पूरी कहनी

इस पूरे मामले की कहानी फिल्मी है. मामला 15 जनवरी का है. दतिया कोतवाली के थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव को अचानक कोई निजी काम आ पड़ा, जिसके लिए वे ग्वालियर के लिए रवाना हो गए. थाना प्रभारी अपना मुख्यालय छोड़ रहे थे, इसकी खबर किसी वरिष्ठ अधिकारी को भी नहीं दी. जैसे ही रत्नेश सिंह यादव ग्वालियर के कंपू थाना क्षेत्र पहुंचे, वहां किसी बदमाश ने उनका मोबाइल छीन लिया. अब पुलिसवाले का मोबाइल कोई बदमाश कैसे छीन सकता है, तुरंत थाना प्रभारी ने फिल्मी अंदाज में बदमाश का पीछा किया और बदमाश को पकड़ लिया. मोबाइल भी वापस ले लिया. आरोपी की पहचान शुभम भार्गव के रूप में हुई.

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जाहिर सी बात है कि दतिया कोतवाली थानेदार साहब अपने ज्यूरिडिक्शन एरिया से बाहर थे. लिहाजा उन्होंने इसकी सूचना कंपू थाना क्षेत्र की प्रभारी अनिता मिश्रा को दी. मौके पर पुलिसबल पहुंचा. लेकिन रत्नेश सिंह यादव ने कोई रिपोर्ट नहीं कराई. न ही आरोपी को कंपू पुलिस के हवाले किया.

बदमाश को ले आए दतिया

असली कहानी अब शुरू होती है. थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव आरोपी को पकड़ कर अपने साथ दतिया ले आए. और अपने ही थाना में FIR दर्ज करा दी. इसमें मोबाइल लूट नहीं, बल्कि आर्म्स एक्ट की धाराएं लगाईं. आरोपी शुभम भार्गव को जेल भेज दिया.

थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव ने की ये गलती

इस पूरे मामले में थाना प्रभारी रत्नेश सिंह ने खुद नियमों का उल्लंघन किया. अगर थाना प्रभारी रत्नेश सिंह के साथ इस तरह की घटना हुई थी तो उन्होंने कंपू थाना में शिकायत दर्ज करानी थी. आरोपी को भी कंपू पुलिस के हवाले करना था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. दूसरा ये भी हो सकता था कि दतिया थाने में जीरो FIR दर्ज कराते और मामला कंपू पुलिस को सौंप देते. जिससे कंपू पुलिस विधिवत कार्रवाई करती. लेकिन उन्होंने अपनी एक गलती को छुपाने और वर्दी के रौब के चलते ऐसा नहीं किया.

कौन सी गलती छुपा रहे थाना प्रभारी रत्नेश ?

दतिया थाना प्रभारी रत्नेश यादव बगैर बताए हेड ऑफिस छोड़कर आए थे. अगर वो प्रोसीजर फॉलो करते तो उन्हें जवाब देना पड़ता कि वे आखिर ग्वालियर के कंपू में क्यों गए थे? पहले क्यों नहीं बताया? रिकॉर्ड में कंपू के लिए रवानगी भी दिखाना पड़ती. इस सब से बचने के लिए उन्होंने शुभम भार्गव को अपने थाने पर लाकर दूसरे ही मामले में आरोपी बना दिया.

कंपू थाना प्रभारी पर कार्रवाई क्यों ?

मामले में कंपू थाना प्रभारी अनिता मिश्रा लाइन अटैच कर दी गईं हैं. इसकी वजह है कि उन्हें पूरे घटनाक्रम की जानकारी थी. बावजूद इसके उन्होंने सीनियर्स से ये बात छुपाई. उन्होंने थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव का साथ दिया. इसलिए उन पर भी कार्रवाई हुई.

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आरोपी का पक्ष क्या है ?

आरोपी का कहना है कि मोबाइल लूट की बात झूठी है. थाना प्रभारी रत्नेश सिंह यादव के साथ बहस हुई थी. मामला बिगड़ गया और हाथापाई भी हो गई. वे सिविल में थे. पता नहीं था कि वे पुलिसवाले हैं. रत्नेश सिंह यादव ने झूठे आरोपों में फंसा दिया है.

सीएम शिवराज से की अपील

इस मामले में RTI एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी ने भी शिकायत की है. उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान और DGP से पूरे मामले की जांच की मांग की है. RTI एक्टिविस्ट आशीष चतुर्वेदी वही शख्स हैं, जिन्होंने व्यापमं घोटाले का खुलासा किया था.

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