मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

विधानसभा उपचुनाव: ग्वालियर-चंबल के दलितों के पास है एमपी की 'सत्ता की चाबी'

मध्यप्रदेश में 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, जिनमें ग्वालियर-चंबल की 16 सीटें भी शामलि हैं. जहां दलित वोटर निर्णायक साबित होता है.

Madhya Pradesh by-election
मध्यप्रदेश उपचुनाव

By

Published : Aug 20, 2020, 5:26 PM IST

ग्वालियर। मध्यप्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं और इन चुनावों को लेकर सियासी हलचल तेज हो चुकी है. उपचुनाव वाली ज्यादातर सीटें ग्वालियर-चंबल संभाग की हैं, जहां दलित मतदाता निर्णायक माना जाता है. बसपा इन सीटों पर चुनावी मैदान में उतरने का ऐलान पहले ही कर चुकी है और पूर्व सीएम कमलनाथ की बेचैनी बढ़ा चुकी है. कांग्रेस के दलित वोट मारने के लिए बसपा ने सेंधमारी शुरू कर दी है. ऐसे में देखा जाए तो 2018 के चुनाव में कांग्रेस ने चंबल की गुना सीट को छोड़कर, सभी पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब सियासी हालात कुछ अलग हैं.

ग्वालियर चंबल में दलित वोट बैंक की अहम भूमिका

बसपा नेता प्रागी लाल जाटव, डबरा नगर पालिका की पूर्व अध्यक्ष सत्यप्रकाशी, बसपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप अहिरवार, पूर्व विधायक सत्यप्रकाश, पूर्व सांसद देवराज सिंह पटेल और संजू जाटव अब नए दलित नेता हैं, जो कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं. यही अब चंबल-अंचल की आरक्षित सीटों के कर्णधार हैं, जिन्हें कांग्रेस बीजेपी और बीएसपी के अंदर से सेंधमारी करके अपने खेमे में लाई है. क्योंकि चंबल की सभी आरक्षित सीट कांग्रेस के पास थी, लेकिन इन सीटों के विधायक अपने नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के कहने पर बागी हो गए. ऐसे में अब कांग्रेस को दलित चेहरों की तलाश थी.

मध्यप्रदेश की 27 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं. उनमें 9 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं, तो एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है. इसके अलावा 14 सीटें सामान्य के लिए हैं. इन सभी सीटों पर करीब 20 फीसदी दलित मतदाता हैं. चंबल इलाका दलित बाहुल्य है और उत्तर प्रदेश से सटे होने के चलते इस इलाके में बसपा का अच्छा खासा जनाधार है. ऐसे में ग्वालियर चंबल संभाग के तहत आने वाली सीटों पर बसपा को अच्छा खासा वोट मिलता रहा है. पिछले चुनाव में 15 सीटों पर इसे निर्णायक वोट मिले थे, इनमें से 2 सीटों पर बसपा प्रदेश में दूसरे नंबर पर रही थी. जबकि 13 सीटें ऐसी थीं जहां बसपा प्रत्याशियों को 15 हजार से लेकर 40 हजार तक वोट मिले थे.

ग्वालियर चंबल की मेहगांव, जोरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह, भांडेर, करैरा और अशोक नगर सीट पर बसपा पूर्व के चुनाव में जीत दर्ज कर चुकी है. 2018 के विधानसभा चुनाव में गोहद, डबरा और पोहरी में बसपा दूसरे नंबर पर रही है. जबकि ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व और मुंगावली में उसकी मौजूदगी नतीजों को प्रभावित करने वाली साबित हुई है. मुरैना में बीजेपी की पराजय में बसपा की मौजूदगी प्रमुख कारण था. इसके अलावा पोहरी, जौरा, अंबाह में बसपा के चलते भाजपा तीसरे नंबर पर पहुंच गई थी. ऐसे में बीजेपी का कहना है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि कांग्रेस में कौन सा दलित नेता जा रहा है, क्योंकि जो दलित नेता थे वो अब उनके खेमे में हैं.

बसपा ने ग्वालियर चंबल की 16 सीटों पर निर्णायक वोट हासिल किए थे, इनमें अंबाह 22180, अशोकनगर 9560, करेरा 40026, ग्वालियर 4596, ग्वालियर पूर्व 5446, गोहद 15477, डबरा 13155, दिमनी 14458, पोहरी 52736, मुंगावली 14202, मुरैना 21150, मेहगांव 7580, बमोरी 7180, सुमावली 31331 और जौरा में बसपा प्रत्याशी को 41014 वोट मिले थे. 2018 विधानसभा में दलित की पहली पसंद कांग्रेस बनी थी और इसी के सहारे चंबल ग्वालियर इलाके में बीजेपी का पूरी तरह से सफाया हो गया था. ऐसे में देखना होगा, इस बार उपचुनाव में दलित वोट बैंक सत्ता की कुर्सी दिलाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details