ग्वालियर। साल 2020 में कोरोना संक्रमण ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा दिया था. लेकिन अब वैक्सीन आने के बाद लोगों को उम्मीद है कि आने वाला वक्त फिर से सामान्य हो जाएगा. लेकिन एक बार कोरोना महामारी ने फिर दस्तक दे दी है और पहले जैसे हालात एक बार फिर से बनते जा रहे हैं. लेकिन साल 2020 में इस कोरोना संक्रमण ने ऐसे दुख दर्द दिए हैं कि शायद लोग इसे कभी भी नहीं भूल सकते हैं. हर तरफ लाशों का मंजर दिखाई दे रहा था और लोग घरों में कैद थे.
400 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार
कोरोना काल में नगर निगम के तीन कर्मचारियों ने पूरे कोरोना काल में मानवता सेवा का सही अर्थ लोगों को सिखाया है. कई जगहों ने मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर आ रही थी. लेकिन उसी समय कर्मचारी अपनी जान की बाजी लगाकर मानवता का धर्म निभा रहे थे और इस काम में सबकी मदद कर रहे थे, डिप्टी कमिश्नर के पद पर पदस्थ अतिबल सिंह यादव. कोरोना संक्रमण काल में जिन परिवारों में लोगों की मौत हुई थी. उन शवों को लेने के लिए परिवारों ने मना कर दिया, तो किसी परिवार ने अपने मृतक के शव को देखने तक नहीं रहे. उस समय सफाई कर्मचारी सोनू चौबे, नरेंद्र गौड़ और एक अन्य सहयोगी की मदद से विद्युत शवदाह गृह के इंचार्ज अतिबल सिंह यादव ने कोरोना संक्रमण से हुई मौतों के शवों को हाथों से उठाकर उनका दाह संस्कार किया. अतिबल सिंह यादव और उनके इन तीन सहयोगियों ने मिलकर 400 से ज्यादा शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं और यह काम आज भी जारी है.
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ग्वालियर नगर निगम
साल 2020 के मार्च के महीने से ग्वालियर में कोरोना संक्रमण ने दस्तक दे दी थी. मार्च में ग्वालियर जिले में कोरोना का पहला मरीज पाया गया था. जिसके बाद जिले में कोरोना संक्रमण ने तेजी से रफ्तार पकड़ी. उसके बाद हर रोज संक्रमण से 5 से 10 लोगों की मौत होने लगी. कोरोना संक्रमित और संदिग्ध मरीजों की मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए डेड बॉडी परिजनों के सुपुर्द नहीं की जाती हैं. ऐसी स्थिति में ग्वालियर नगर निगम के तीन कर्मचारी सहित एक अफसर ने यह जिम्मेदारी संभाली और तीन-तीन महीने में 200 से अधिक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया पूरी की. उसके बाद यह धीरे-धीरे आंकड़ा 400 से पार हो गया. इस काम के लिए नगर निगम के सफाई कर्मी सोनू चौबे, विद्युत विभाग के सुपरवाइजर नरेंद्र गौड़, और लक्ष्मी नारायण भी लगातार उनके साथ इस मौत के मुंह में जाकर सामाजिक दायित्व को निभाते रहे और इस काम के लिए सहयोग और हौसला के रूप में विद्युत संविदा ग्रह के इंचार्ज अतिवल सिंह यादव साथ खड़े रहे.
विद्युत शवदाह गृह की सुविधा शुरु की गई
संक्रमण के तेजी से फैलते मामले और मौतों को देखते डिप्टी कमिश्नर को अतिबल सिंह यादव को विद्युत शवदाह गृह की जिम्मेदारी दी गई थी. साल 2020 में मार्च के महीने के बाद लगातार ग्वालियर जिले में कोरोना संक्रमण का आंकड़ा तेजी से बढ़ने लगा और उसके बाद मौत भी लगातार तेजी से बढ़ने लगी. हर दिन 4 से 5 मौतें संक्रमण के कारण हो रही थी. उसके बाद जिला प्रशासन ने निर्णय लिया कि लक्ष्मी गंज स्थित विद्युत शवदाह गृह को चालू किया जाए, ताकि इन शवों का अंतिम संस्कार आसानी से हो सके.
इन जाबाजों ने संभाला मोर्चा
इसी के चलते विद्युत शवदाह गृह का इंचार्ज अतिबल सिंह को बनाया गया. उसके बाद अतिबल सिंह यादव ने कई सफाई कर्मचारियों को विद्युत शवदाह गृह पर बुलाया. लेकिन कई सफाई कर्मी दो-चार दिन तक काम करने के बाद उन्हें मना कर दिया. उसके बाद सफाई करनी सोनू चौबे, लक्ष्मी नारायण, सुपरवाइजर नरेंद्र गौड़ पूरे साल भर कोरोना से हुई मौतों के शवों को जलाने का काम किया. शवों को जलाने के लिए सफाई कर्मी और सुपरवाइजर का सबसे ज्यादा रहा अहम रोल साल 2020 में ग्वालियर जिले में 400 से अधिक शवों को जलाने में सबसे ज्यादा अहम रोल इन तीनों सफाई कर्मियों का रहा है, जिनमें सोनू चौबे, नरेंद्र और लक्ष्मी नारायण शामिल है.
इलेक्ट्रॉनिक स्ट्रक्चर
तीनों कर्मचारी दिन रात 24 घंटे तक शवों को जलाते रहे, साथ ही 12 घंटे तक पीपीई किट पहनकर शवों को जलाने का काम किया है. यह तीनों कर्मचारियों को बाहर से विद्युत शवदाह गृह तक ले जाते थे और उन शवों को इलेक्ट्रिक स्ट्रक्चर पर रखकर जलाने का काम करते थे. 6 महीने तक घर से बाहर एक कमरे में रहते थे यह तीनों कर्मचारी इन कर्मचारियों का कहना है कि जब कोरोना महामारी चरम पर थी उस समय हम जब शवो को जला कर घर पहुंचे थे तो हमें सबसे ज्यादा परिवार और बच्चों की चिंता रहती थी. यही वजह है कि हमने सब से बाहर वाले कमरे को अपना घर बना लिया था.
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