ग्वालियर। पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा 2017 में फर्जी परीक्षार्थी बनकर परीक्षा देने के मामले में चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए पांच- पांच साल की सजा सुनाई है. जबकि एक आरोपी को सबूत के अभाव में बरी कर दिया गया. इन आरोपियों को कोर्ट ने जुर्माना भी लगाया गया है. ये सभी आरोपी मुरैना जिले की जौरा तहसील के रहने वाले हैं.
आरक्षक भर्ती परीक्षा गड़बड़ी मामला क्या था मामला
व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा 24 अगस्त 2017 को पुलिस आरक्षक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया गया था. परीक्षा खत्म हो जाने के बाद व्यापमं के निर्देशानुसार सभी परीक्षार्थियों के थंब इम्प्रेशन लिए जा रहे थे, इसी दौरान कथित परीक्षार्थी कैलाशी रावत का बायोमेट्रिक थम्ब लिया गया, तो वो मैच नहीं हुआ और वो भागने लगा. तभी ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी ने उसे पकड़ लिया.
एडमिट कार्ड से हुआ खुलासा
पुलिस ने जब युवक एडमिट कार्ड चेक किया, तो उस पर कैलाशी रावत लिखा था. एडमिट कार्ड पर लगे फोटो से परीक्षार्थी का फोटो मैच नहीं होने पर जब उससे नाम पूछताछ की गई, तो पहले उसने अपना नाम कैलाशी रावत ही बताया. वहीं जब पुलिस ने युवक से सख्ती बरती तो उसने अपना नाम भीम सिंह मीणा बताया.
आरोपी ने बताया कि वो मुरैना जिले की जौरा तहसील अमिताभ रावत के कहने पर कैलाशी रावत के स्थान पर परीक्षा देने आया था. परीक्षा देने के बदले उसे 40 हजार रुपए मिले थे. जांच में पाया गया कि भीम सिंह असल परीक्षार्थी कैलाशी रावत के स्थान पर परीक्षा में शामिल होकर फर्जी हस्ताक्षर करके और फर्जी वोटर कार्ड के आधार परीक्षा दे रहा था.
वकील माता प्रसाद बरुआ ने बताया कि मामले में थाटीपुर पुलिस ने पांच आरोपियों पर मामला दर्ज किया था. जिसमें से कोर्ट ने आरोपी विमल मीणा को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया. जबकि अन्य चारों आरोपियों को पांच- पांच साल के सश्रम कारावास के साथ 37-37 सौ रुपए का जुर्माना लगाया गया है.