ग्वालियर। जिला कोर्ट की विशेष न्यायालय ने पट्टे धारी से पांच हजार रुपये की रिश्वत लेने वाले कोटवार सीताराम सेन को दोषमुक्त कर दिया है. कोर्ट ने ये फैसला विवेचना अधिकारी द्वारा कोटवार को लोक सेवक होने के सबूत न्यायालय में पेश नहीं कर पाने के कारण सुनाया है साथ ही विवेचना अधिकारी पर जांच के दायरे में आ गए है.
रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए कोटवार को कोर्ट ने माना निर्दोष, डीएसपी के खिलाफ कार्रवाई के आदेश
सरकारी जमीन को खाते में चढ़ाने को लेकर पांच हजार रुपये की रिश्वत की मांग करने वाले कोटवार सीताराम सेन को जिला कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया है साथ ही विवेचना अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश दिए हैं.
5 साल पहले 30 अप्रैल 2014 को पट्टा धारक जगन्नाथ सिंह ने सरकारी जमीन को खाते में चढ़ाने और कंप्यूटर में एंट्री कराने के लिए भितरवार तहसील में आवेदन दिया था, लेकिन कोटवार सीताराम सेन ने तहसीलदार और खुद के लिए रिश्वत की मांग की थी. पांच हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए उसे लोकायुक्त पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था. जब इस मामले में कोर्ट में चालान पेश हुआ तो उसकी सेवा संबंधी रिकॉर्ड को विवेचना अधिकारी पूर्व डीएसपी कोर्ट में पेश नहीं कर सके. इसका कोटवार को लाभ मिला और कोर्ट ने उसे लोक सेवक नहीं माना.
खास बात ये भी है कि राजस्व विभाग की अपर सचिव किरण मिश्रा ने बिना सेवा पुस्तिका देखे अभियोजन की स्वीकृति दे दी. इसे भी कोर्ट ने गंभीर त्रुटि माना और प्रमुख सचिव राजस्व को उनके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं. मामले में दो पूर्व डीएसपी सुरेंद्र राय शर्मा और आरबी शर्मा की मुश्किलें बढ़ गई हैं. वहीं अपर सचिव राजस्व किरण मिश्रा भी जांच के दायरे में आ गई हैं. हालांकि लोकायुक्त पुलिस संगठन ने इस मामले में हाई कोर्ट में अपील दायर करने की तैयारी शुरू कर दी है.