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ग्वालियर में सक्रिय है नकली प्लाज्मा सप्लायर गैंग, सवालों के घेरे में 49 मरीजों की मौत

ग्वालियर में नकली प्लाज्मा सप्लाई करने वाले गैंग का खुलासा होने पर पूरे स्वास्थ्य महकमे पर सवाल उठ रहे हैं. ग्वालयिर में अब तक जितनी भी मौतें प्लाज्मा चढ़ाने के बाद हुई हैं, उन पर सवाल उठने लगे हैं.

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Published : Dec 17, 2020, 6:10 PM IST

ग्वालियर।आए दिन कोरोना के नाम पर जिस तरह लोगों में डर फैलाया जा रहा है, उसी डर की आड़ में अवैध पैसे की उगाही के साथ कई ऐसे काले धंधे भी शुरू हो चुके हैं. लोगों की मजबूरियों का फायदा उठाया जा रहा है. ऐसा ही मामला हाल ही में ग्वालियर में सामने आया था. जिसमें नकली प्लाज्मा बेचने वाली गैंग का पर्दाफाश हुआ था. ये गैंग मनमाने दामों पर मरीजों को प्लाज्मा उपलब्ध करवाती थी, वो भी नकली. जो सरासर मरीजों की जान से खिलवाड़ था. इस गैंग के सामने आने के बाद ग्वालियर के सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल सहित 13 बड़े प्राइवेट अस्पतालों में हुई 49 मरीजों की मौत पर सवाल उठ रहे हैं. इन सभी मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया था.

मरीजे के परिजनों के आरोप

प्लाज्मा चढ़ाने के बाद मौत के आंकड़े

ईटीवी भारत की पड़ताल में पता चला है कि शहर के 13 बड़े हॉस्पिटल में 116 पॉजिटिव मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया था. इन मरीजों में से 91 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. जबकि 25 मरीजों की मौत हो चुकी है. इस सूची में कल्याण हॉस्पिटल और अपोलो हॉस्पिटल का नाम मुख्य है. कल्याण हॉस्पिटल में 52 मरीजों को प्लाज्मा चढ़ाया गया है. जिनमें से 11 लोगों की मौत हो चुकी है. अपोलो हॉस्पिटल में 52 मरीजों को प्लाज्मा चलाया गया है.जिसमें 10 मरीजों ने दम तोड़ा है.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी मनीष शर्मा

स्वास्थ्यकर्मी भी गैंग में शामिल

नकली प्लाज्मा बेचने वाली गैंग के सामने आने के बाद इन आकड़ों को संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है. क्योंकि इससे पहले तक इन्हें सामान्य मौत की श्रेणी में रखा गया था. परिजन सोच रहे थे कि संक्रमण बढ़ जाने की वजह से प्लाज्मा थैरेपी काम नहीं आई और मरीज की मौत हो गई. लेकिन अब हालात बदल गए हैं.आरोपियों में निजी अस्पताल का कर्मचारी भी शामिल है. जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि मौत का ये खेल लंबे समय से चल रहा था.

सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में सबसे अधिक मौतें

प्राइवेट अस्पतालों के अलावा शहर का सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया हैं. इस सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में अभी तक 52 मरीजों को प्लाज्मा लगाया गया है. जिनमें से 24 मरीज की मौत हो चुकी है.

आस-पास के जिलों में नेटवर्क फैले होने की आशंका

पुलिस नकली प्लाज्मा बेचने वाली गैंग के मास्टरमाइंड अजय शंकर त्यागी से पूछताछ कर रही है. जानकारी के मुताबिक इस गैंग का नेटवर्क आस-पास के जिलों में भी फैले होने की आशंका जताई जा रही है. हालांकि मामले में उठ रहे तमाम सवालों के बावजूद किसी परिजन की तरफ से शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है. ये मामला अपोलो हॉस्पिटल में हुई एक मरीज की मौत के बाद सामने आया था.

जिला स्वास्थ्य अधिकारी का बयान

जिला स्वास्थ्य अधिकारी मनीष शर्मा का कहना है जिले में अभी तक जितने भी प्लाज्मा चढ़ने के बाद कोरोना मरीजों के मौत के मामले सामने आए हैं, इनमें किसी मरीज के परिजन ने आपत्ति दर्ज नहीं की है. अगर कोई मरीज आपत्ति दर्ज कराता है, तो उसकी जांच की जाएगी. प्लाज्मा नियत प्रक्रिया के तहत ही दिया जाता है.

तीन आरोपी अभी भी फरार

एक हफ्ते पहले दतिया निवासी मनोज गुप्ता को कोरोना संक्रमण के चलते अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उसके बाद मरीज को प्लाज्मा की जरूरत पड़ी, तो इनके परिजनों ने प्लाज्मा की व्यवस्था की. प्लाज्मा को चढ़ने के बाद मरीज की हालत बिगड़ी और मौत हो गई. परिजनों ने पड़ाव थाना में इसकी शिकायत की. उसके बाद यह पूरा मामला सामने आया.गैंग का मास्टरमाइंड अजय शंकर त्यागी पुलिस की गिरफ्त में है. लेकिन तीन आरोपी अभी भी फरार हैं. जिनकी तलाश जारी है.

पकड़े गए आरोपी और उनकी भूमिका

अजय शंकर त्यागी- गिरोह का मास्टरमाइंड.

जगदीश: अपोलो अस्पताल का कर्मचारी है.

महेश मौर्या: वेदांश हॉस्पिटल का कर्मचारी.अजय शंकर त्यागी का साथी और अस्पतालों में नकली प्लाज्मा का सप्लायर.

हेमंत: महेश मौर्या के इशारों में पर काम करने वाला दलाल.

क्या है प्लाज्मा थेरेपी

कोरोना वायरस से पीड़ित जो लोग अब पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके हैं, उनके ब्लड में जो एंटीबॉडीज बन जाती हैं, उन्हें ही प्लाज्मा कहते हैं. इस थेरिपी में ठीक हुए व्यक्ति के ब्लड से एंटीबॉडीज निकालकर कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति के शरीर में डाली जाती हैं. जिससे कोरोना वायरस से पीड़ित व्यक्ति को ठीक किया जा सकता है.

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हालांकि अभी तक ये थेरिपी कितनी कारगर है, इस पर स्थिति साफ नहीं है.लेकिन कई रिपोर्ट में प्लाजमा थेरिपी से कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजों के ठीक होने की बात सामने आई है. इसी वजह से अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में इस थैरेपी का उपयोग किया जा रहा है.

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