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कोरोना कर्फ्यू से ऑटो रिक्शा चालकों की टूटी कमर, रोजी-रोटी के पड़े लाले - ग्वालियर में ऑटो रिक्शा

एमपी के ग्वालियर में कोरोना महामारी के कारण लगे कोरोना कर्फ्यू से मजदूर वर्ग अधिक प्रभावित हुआ है. सबसे ज्यादा परेशान ऑटो और रिक्शा चालक हो रहे हैं. जिले में पिछले 20 दिन से कोरोना कर्फ्यू लगा है. इस कारण बाजार पूरी तरह से बंद है. यही वजह है कि शहर के ऑटो चालक दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं.

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ग्वालियर ऑटो

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Published : May 1, 2021, 8:06 PM IST

ग्वालियर। इस समय भीषण कोरोना महामारी के कारण पूरे देशभर में कोरोना कर्फ्यू लागू है. यही वजह है कि कोरोना कर्फ्यू के कारण मजदूर वर्ग के लोगों को फिर परेशानी खड़ी हो गई है. सबसे ज्यादा परेशान ऑटो और रिक्शा चालक हो रहे हैं क्योंकि जिले में पिछले 20 दिन से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. इस कारण बाजार पूरी तरह से बंद है. यही वजह है कि शहर के ऑटो चालक दोहरी मुसीबत में फंस गए हैं. रोज खाने कमाने ऑटो चालक अब दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहे हैं. इन्हें सवारियां नहीं मिल पा रही हैं.

रोजी रोटी के लिए मोहताज हुए ऑटो चालक.

शहर में पांच हजार से अधिक चलते हैं ऑटो
ग्वालियर शहर में 5000 से अधिक ऑटो संचालित होते हैं. इनमें से 50 फीसदी ऑटो चालक किराए पर ऑटो चलाते हैं. यही उनका रोजी-रोटी का साधन होता है. रोज के किराए से ऑटो लेकर दिनभर ऑटो चलाते हैं. उसके बाद अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. शहर में पिछले 20 दिन से कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. इस कारण रोजी-रोटी पर संकट खड़ा हो गया है. यह सभी ऑटो चालक शहर के अन्य चौराहे पर सवारियों का इंतजार करते हैं लेकिन एक दो सवारियां मिलने के कारण उनका रोज का डीजल-पेट्रोल का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में ऑटो चालक भुखमरी की कगार पर हैं. इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है.

दो से ज्यादा सवारियां न बैठाने का आदेश
जिले में पिछले 20 दिन से अधिक समय हो गया है, उसी समय से बढ़ते कोरोना संक्रमण के कारण कोरोना कर्फ्यू लगा हुआ है. इस कोरोना कर्फ्यू में रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और एयरपोर्ट यात्रियों को आवागमन की छूट दी गई है. यही वजह है कुछ यात्री अपने स्थान पर पहुंचने के लिए ऑटो ले रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने आदेश दिया है कि ऑटो में सिर्फ दो ही सवारियां बैठेंगी. अगर इससे अधिक सवारियां ऑटो चालक ले जाते हैं तो उन पर कार्रवाई की जाएगी. ऑटो चालकों का कहना है कि अगर ऑटो में दो सवारियां ले जाते हैं तो उससे डीजल का खर्चा भी नहीं निकल पा रहा है. ऐसे में घर पर पैसे कैसे ले जाएं और साथ ही जो किराए से ऑटो चला रहे हैं वह अपने मालिक को रोज का भाड़ा कैसे दें. इसी तरह की परेशानियों से लगातार वह जूझ रहे हैं.

शहर में 50 फीसदी ऑटो चल रहे किराये पर
शहर में लगभग 5000 से अधिक ऑटो शहर में चलती हैं. जिनमें से 50 फीसदी ऑटो ऐसे हैं जिनको ऑटो चालक रोज किराए पर चला रहे हैं. उनके पास इतना पैसा नहीं है कि वह खुद की ऑटो खरीद लें. ऐसे में उन्हें सवारियां नहीं मिल पा रही हैं. जिससे उनका परिवार वक्त-वक्त की रोटी के लिए मोहताज हो रहा है.

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बेखौफ चल रहे चार पहिया वाहन
एक तरफ तो जिला प्रशासन ने शहर में ऑटो में दो से अधिक सवारियां बैठाने का फरमान जारी कर दिया है. वहीं दूसरी तरफ शहर में चलने वाले चार पहिया वाहन वाहनों में अधिकतर लोग बैठे हुए मिल रहे हैं. लग्जरी गाड़ी में आराम से बैठकर शादी समारोह में जा रहे हैं, लेकिन इसके लिए जिला प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है. ऐसे में ऑटो चालकों के साथ दुर्व्यवहार किया जा रहा है क्योंकि एक तरफ तो शहर में चलने वाली लग्जरी चार पहिया वाहनों में पांच से छह लोग बैठकर आराम से घूम रहे हैं तो वहीं ऑटो में दो सवारियां बैठाने के लिए भी इनकार कर दिया है. इस वजह से ऑटो चालक काफी नाराज हैं.

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