ग्वालियर। शहर में जमीनों के दाम एक बार फिर बढ़ने वाले हैं. जब मूल्यांकन समिति की सिफारिशें मंजूर हो जायेगी, तब कई इलाकों में जमीन की कीमत में सवा सौ फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हो जाएगी. अब यह प्रस्ताव जिला और केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भेजा जा रहा है. अगर जिला और केंद्रीय मूल्यांकन समिति इन सिफारिशों को स्वीकार कर लेती है, तो संपत्ति के खरीदारों पर भारी-भरकम बोझ आने की संभावना है. समिति ने पहले 15 फीसदी तक का प्रस्ताव तैयार किया था, लेकिन पंजीयन विभाग के अफसरों ने इन प्रस्तावों को रद्द कर नए सिरे से गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए है.
शहर के कई प्रमुख इलाकों में 100 फीसदी से ज्यादा वृद्धि बताई गई है. मोहम्मद गौस के मकबरे के पास फिलहाल आवासीय जमीन का रेट 5600 वर्ग मीटर है, जबकि इसका 12000 प्रति वर्ग मीटर किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है. इसी तरह चेतकपुरी और एमएलबी हॉस्टल इलाके में अभी तक आवासीय जमीनों के रेट 18000 वर्ग मीटर है, जबकि व्यवसाय 27000 है. अब इसे 42000 रुपए वर्ग मीटर करने का प्रस्ताव दिया गया है. इसके अलावा मैहर वाली माता, घास मंडी, जिंसी नाला, खुर्जेवाला मोहल्ला, दौलत गंज, सिल्वर एस्टेट, बलवंत नगर में भी 25 फीसदी से लेकर 80 फीसदी तक की वृद्धि की जा रही है.
सरकार की भारी-भरकम वृद्धि का मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स और कांग्रेस ने विरोध करना शुरू कर दिया है. इनका कहना है कि कोविड-19 के कारण पहले से ही लोग काम से परेशान हैं. ऊपर से जमीनों के रेट बढ़ाकर सरकार रियल स्टेट की कमर तोड़ने पर आमादा है.
जमीनों में नई गाइडलाइन के हिसाब से सवा सौ फीसदी से ज्यादा की वृद्धि का प्रस्ताव, चेंबर और कांग्रेस ने किया विरोध
ग्वालियर जिले में एक बार फिर जमीनों के दाम बढ़ने वाले हैं. अब यह प्रस्ताव जिला और केंद्रीय मूल्यांकन समिति को भेजा जा रहा है, जहां नए सिरे से गाइडलाइन बनाने के निर्देश दिए गए है.
कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक का कहना है कि जब कमलनाथ सरकार थी, तब पिछले साल स्टांप ड्यूटी में कटौती की गई थी. जमीनों के रेट भी समान रखे गए थे. इसके बावजूद सरकार को रिकॉर्ड राजस्व मिला था, लेकिन प्रशासन का कहना है कि मूल्यांकन समिति की सिफारिशों को सभी लोग माने ये संभव नहीं है. फिर भी सभी के प्रस्तावों को ध्यान में रखकर केंद्रीय मूल्यांकन समिति को यह प्रस्ताव दिया जाएगा.
गौरतलब है कि, 31 मार्च से पहले हर साल मूल्यांकन समिति शहर की व्यवसायिक और आवासीय जमीनों के रेट सरकारी गाइडलाइन के हिसाब से तय करती है.