ग्वालियर। ब्रटिश काल का वह चर्च जो 1857 की क्रांति, देश की आजादी, देश का बंटवारा और कई ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी है. क्रिसमस के मौके पर हम आपको ऐसे चर्च के बारे में बताएंगे. इसका इतिहास 300 साल पुराना है. ब्रिटिश काल में ग्वालियर के उपनगर मुरार में बना यह 300 साल पुराना क्राइस्ट चर्च है. इस चर्च की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी बनावट ब्रिटिश शैली की है. क्रिसमस के मौके पर हर साल देश-विदेश से सैलानी क्राइस्ट चर्च को देखने के लिए ग्वालियर आते हैं. इसकी बनावट और सुंदरता अपने आप में अनोखी है. क्रिसमस के मौके पर यहां कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं. (History of Christ Church of Gwalior)
ब्रिटिश आर्मी ने बनवाया था क्राइस्ट चर्च
ग्वालियर के मुरार में 1775 में क्राइस्ट चर्च का निर्माण एक ब्रिटिश ऑफिसर ने करवाया था. उस समय इस चर्च को ग्वालियर ब्रिटिश आर्मी का गढ़ माना जाता था. क्राइस्ट चर्च में ब्रिटिश आर्मी के ऑफिसर प्रार्थना करने आते थे. इस चर्च का निर्माण करवाने के लिए ब्रिटिश शासन के दौर में आर्मी के अधिकारियों ने पैसे एकत्रित किए थे. यह क्राइस्ट चर्च 1775 में बनकर तैयार हुआ था, जिसकी पुष्टि 1844 में बंदोबस्त के डाक्यूमेंट्स में हुई थी. लेकिन बाद में चर्च एक्ट 1927 के तहत चर्च ऑफ इंडिया और इंडियन ट्रस्ट एक्ट के तहत इसे डायसिस ऑफ नागपुर को हस्तांतरित कर दिया गया.
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