ग्वालियर।कोरोना का असर तमाम दूसरी चीजों की तरह सियासत पर भी हुआ है, लॉकडाउन में नेता और राजनीतिक दलों को अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म की मदद ले रहे हैं. आगामी उपचुनाव में भी ऐसे ही आसार नजर आ रहे हैं, पार्टियों की सोशल मीडिया पर निर्भरता बढ़ेगी. ग्वालियर चंबल संभाग में भी इस बार उपचुनाव के दौरान कोरोना संक्रमण के कारण प्रचार का तरीका बदलने लगा है, सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क की अनिवार्यता जैसी शर्तों के चलते कांग्रेस और बीजेपी दोनो ही पार्टियों को मुख्य फोकस सोशल मीडिया पर रह रहा है.
उपचुनाव पर कोरोना का असर, सोशल मीडिया पर राजनीतिक दलों का फोकस
कोरोना का असर तमाम दूसरी चीजों की तरह सियासत पर भी हुआ है, लॉकडाउन में नेता और राजनीतिक दल अपनी बात जनता तक पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म की मदद ले रहे हैं. आगामी विधानसभा उपचुनाव में भी ऐसे ही आसार नजर आ रहे हैं, की पार्टियों की सोशल मीडिया पर निर्भरता बढ़ेगी.
चुनाव के वक्त सोशल मीडिया अहम भूमिका निभाने वाला है, बीजेपी ने वार्ड स्तर व्हाट्सएप ग्रुप को सक्रिय करने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके पीछे बीजेपी के नेताओं की सोच है कि हर घर पहुंचना संभव नहीं होगा ऐसे में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण हथियार होगा, जिससे भी अपने पदाधिकारियों कार्यकर्ताओं और मतदाताओं तक सीधे पहुंच बनाई जा सके. वहीं दावा कर रही है की इस बार सोशल मीडिया के जरिए वह जनता से जुडेगी और जनता को धोखा देने वाले नेताओं को सबक सिखाएगी.
कांग्रेस और बीजेपी के नाक का सवाल
ग्वालियर चंबल अंचल की 16 सीटें सीधे तौर पर पूर्ववर्ती सरकार के मुखिया कमलनाथ और दिग्विजय सिंह की प्रतिष्ठा का सवाल भी है, तो दूसरी तरफ ग्वालियर चंबल संभाग के सबसे कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य की भी अपनी प्रतिष्ठा यहां दांव पर लगी हुई है, जिसे बचाए रखने की चुनौती सिंधिया के सामने भी है.