ग्वालियर। शहर की सबसे पुरानी रामलीला, छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रावण का दहन किया गया, साथ ही उसके भाई कुंभकरण और पुत्र मेघनाथ के पुतलों का भी दहन किया गया. इस मौके पर मैदान में करीब बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद रहे.
रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के पुतलों का हुआ दहन, तीन सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी रहे तैनात
छत्री बाजार में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में रावण और उसके भाई कुंभकरण के साथ पुत्र मेघनाथ के पुतलों का दहन किया गया.
छत्री बाजार की रामलीला करीब 72 साल पुरानी है. इसे सिंधिया शासकों ने शुरू कराया था. यहां शहर के सबसे बड़े साठ फुट ऊंचे रावण के पुतले का दहन किया गया. साथ ही कुंभकरण पुतला 55 फिट व मेघनाद का 50 फीट का था. बता दें कि इन पुतलों को बनाने में 15 मजदूर पिछले एक पखवाड़े से जुटे हुए थे. इन पुतलों में 3 क्विंटल रद्दी दो सौ से ज्यादा पटाखे, दो सौ बांस, 2 क्विंटल मैदा और 1 क्विंटल धान का इस्तेमाल किया गया था.
रात करीब बारह बजे राम रावण युद्ध के बाद इन पुतलों को दहन किया गया. इस मौके पर छत्री बाजार में बीस हजार से ज्यादा लोग मौजूद थे. महाराज बाड़े से लेकर छत्री बाजार तक तीन सौ से ज्यादा सुरक्षाकर्मी व्यवस्था संभालने के लिए तैनात थे. इसके अलावा फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां भी मौके पर मौजूद थी.