ग्वालियर। मध्य प्रदेश का आदिवासी वित्त एवं विकास निगम सिर्फ कागजों में अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए योजनाएं संचालित कर रहा है. इसका खुलासा आरटीआई एक्टिविस्ट नवनीत चतुर्वेदी ने अपनी पड़ताल में किया है. उन्होंने कहा कि, प्रदेश सरकार के करोड़ों रुपए से पोषित इस निगम का 13 साल से कोई अकाउंट मेंटेन नहीं हुआ है और ना ही इसका ऑडिट किया गया है.
उन्होंने कहा कि, सिर्फ विज्ञापनों में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों के लिए विकास और कल्याण की विभिन्न योजनाओं का उल्लेख किया जाता है, जिसमें ना तो बच्चों को कोई लाभ मिल रहा है और ना ही उनका विकास हो पा रहा है.
आरटीआई एक्टिविस्ट नवनीत चतुर्वेदी ने बताया कि, सालों से वंचित और शोषित समाज के उत्थान के लिए विभाग को बनाया गया था. वर्तमान में जहां मीना सिंह इस विभाग की मंत्री हैं, तो वहीं पल्लवी जैन गोविल इसकी प्रमुख सचिव हैं.
1994 में आदिवासी वित्त विकास निगम का स्थापन हुई थी. मध्य प्रदेश सरकार ने 125 और 36 करोड़ रुपए की मदद की है, लेकिन अनुसूचित जाति के लोगों को इस मंत्रालय का कितना लाभ मिला, इसका कोई डिटेल नहीं है. इसकी डिटेल विभाग की वेबसाइट से पता लगाई जा सकती है, जहां 2007 से कोई ऑडिट नहीं हुआ है. ऐसे में समाज के लोगों को गुमराह किया जा रहा है, जिसमें विज्ञापन के जरिए एक महत्वपूर्ण विभाग के कार्यकलापों पर पर्दा डाला जा रहा है.