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अयोध्या में 20 दिन बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा, इससे पहले ग्वालियर के इन तीन कार सेवक से मिलिए

Ayodhya Ram Mandir: 22 जनवरी को यूपी के अयोध्या में भगवान राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है. जिसे लेकर देशभर में हर्षोल्लास का माहौल है. वहीं ग्वालियर के इन तीन कारसेवकों ने पुरानी यादों को ईटीवी भारत से साझा किया.

Ayodhya Ram Mandir
ग्वालियर के कार सेवक

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 2, 2024, 8:15 PM IST

Updated : Jan 2, 2024, 8:58 PM IST

ग्वालियर के इन तीन कार सेवक से मिलिए

ग्वालियर। करोड़ों देशवासियों का सपना 22 जनवरी को पूरा होने जा रहा है. जब अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा होगी. इसको लेकर ग्वालियर के कार सेवकों सहित पूरे देश में उत्साह का माहौल है. वहीं आज हम आपको ऐसे कार सेवकों के बारे में बताएंगे, जिन्होंने 1992 में राम मंदिर में अपनी भूमिका निभाई. 1992 में अयोध्या गए कारसेवकों ने पुरानी बातों को स्मरण किया. उन्होंने कहा कि रामलला को विराजमान करने में चबूतरे का निर्माण करने का मौका मिला. यह हमारे हमारी टोली के लिए गर्व की बात है. इस टोली में केशव, मिस्त्री लाल, भूरिया, विनोद जिन्होंने बिना औजार के चबूतरा बना दिया था. यह कार सेवक 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या पहुंचे थे.

कारसेवकों ने बताई कहानी: चबूतरा बनाने वाले कार सेवक 22 जनवरी को अयोध्या में श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साहित हैं. वह दर्शन के लिए अयोध्या अपने परिवार के साथ पहुंचेंगे. कार सेवकों का कहना है कि पिछले दिनों की याद कभी आती है, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं. हमने अपने बेल्ट में अपना फोटो और नाम की पर्ची रखी थी. अगर इस हादसे में कहीं उनकी जान चली जाए तो कम से कम उनकी बॉडी उनके परिजनों तक पहुंच जाए.

ये था मामला: 6 दिसंबर 1992 अयोध्या पहुंचे कार सेवक अचानक विवादित ढांचे की तरफ दौड़ती आए. कटीले तारों में झाड़ियां की परवाह किए बिना गुंबद की तरफ बढ़ गए. रामलला के लिए कारसेवक में पवन पुत्र की तरह जोश और उत्साह इतना था कि किसी को रोक नहीं रहा था. कुछ लोग गुंबद की तरफ पहुंच गए. अचानक किसी दिशा से रस्सी आई और इसके सहारे चढ़कर गुंबद के शिखर पर पहुंच गए और गुंबद को ढहाना शुरू कर दिया. इसमें भिंड के कुछ कार सेवकों भी नीचे दब गए जिनकी मौत हो गई थी. ढांचा गिरने के बाद मिट्टी की सफाई कर रेत और सीमेंट से बिना औजारों की रामलाला का चबूतरा बनाया और वहां राम की मूर्ति की स्थापना की.

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इन तीनों कार्य सेवकों का कहना है कि अब हमारा सपना पूरा होने जा रहा है. यह एक सपना से कम नहीं है, क्योंकि आज से 30 साल पहले भगवान राम लला के लिए हमने लड़ाई लड़ी. उन्होंने कहा कि जब अयोध्या में बावरी ढांचे को गिराने के लिए गए तो उन्होंने ठान लिया था या तो हम भगवान राम को अपनी जगह दिलाकर आएंगे या फिर मर कर आएंगे.

Last Updated : Jan 2, 2024, 8:58 PM IST

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