ग्वालियर।आज देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की 98वी जयंती है और ग्वालियर में आज अटल जी की जयंती के मौके पर गौरव दिवस मनाया जा रहा है. इस मौके पर आज पूरे दिन भर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे. अटल जी इस दुनिया में भले ही नहीं है, लेकिन उनके विचार उनकी कार्यशैली आज भी लोगों के जेहन और मस्तक में हमेशा जिंदा है. यही कारण है कि उनका ग्वालियर से गहरा नाता है और ग्वालियर वासी भी आज भी उन्हें उतना ही प्रेम करते हैं, जितना वह ग्वालियर की गलियों में घूमते थे. अटल जी का बचपन इन्हीं ग्वालियर की गलियों में गुजरा है. उनके राजनीतिक कैरियर की शुरुआत भी ग्वालियर से हुई, यही कारण है कि ग्वालियर की कई ऐसी अनोखी याद है जो आज भी अटल जी अमर बनाती है.
ग्वालियर के कमल सिंह के बाग में रहते थे अटल जी:भारत रत्न और देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म भले ही उत्तर प्रदेश की बटेश्वर गांव में हुआ था, लेकिन उनका बचपन ग्वालियर की गलियों में गुजरा. शहर के बीचों-बीच कमल सिंह के बाग में उनका पैतृक निवास है और इन्हीं गलियों से होकर वे राजनीतिक कैरियर की शुरुआत करते हुए दिल्ली तक पहुंचे. अटल जी भले ही दिल्ली में उच्च शिखर तक पहुंच गए, लेकिन ग्वालियर की यादें हमेशा उनकी दिल और दिमाग में जिंदा रहती थी. यही कारण है कि वह बतौर प्रधानमंत्री वे कई बार ग्वालियर अपने घर आते थे और सामान्य तरीके से अपने परिवार और मित्रों से मुलाकात करते थे. अटल जी ने जिंदा रहते हुए अपने घर को लाइब्रेरी के रूप में तब्दील कर दिया था, यह उन्होंने बच्चों के प्रति अपने लगाव के चलते किया था. (Atal Bihari Vajpayee)
स्टूडेंट नंबर 101:अटल बिहारी वाजपेई अपनी प्राथमिक शिक्षा गोरखी की स्कूल में ग्रहण की थी, स्कूल का हर कमरा, खेल का मैदान अटल जी की यादों से संजोए गया है. दीवारों पर अटल जी का नाम लिखा है, अटल जी ने इसी स्कूल में मिडिल तक शिक्षा हासिल की थी. 1935 से 1937 में जब अटल जी ने इस स्कूल में पढ़ा करते थे, तो उनके पिता कृष्ण बिहारी बाजपेई इस स्कूल में शिक्षक थे. स्कूल में आज भी उस रजिस्टर को संजोय रखा गया है, जिसमें अटल जी की उपस्थिति दर्ज हुआ करती थी. तब अटल जी का नंबर उपस्थिति रजिस्टर में 101 था.