ग्वालियर।कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पूर्व विधायक में से अधिकांश मंत्री बन गए हैं, लेकिन उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पार्टी छोड़ने के बाद जनता के बीच हमेशा इस बात की दुहाई देते नजर आते थे कि कांग्रेस सरकार में जो वादे उन्होंने जनता से किए उन्हें पूरा नहीं कर पाने के चलते उन्होंने पार्टी छोड़ी है. अब भाजपा में शामिल हो गए हैं. और वह मंत्री बन भी गए हैं ऐसे में अब उनके ऊपर जनता के कामों को कराने का अधिक दबाव है.
एमपी विधानसभा उपचुनाव: बीजेपी-कांग्रेस ने एक दूसरे पर लगाया ये आरोप - ग्वालियर विधानसभा उपचुनाव
मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा उपचुनाव की तारीखों का ऐलान अब तक नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी-कांग्रेस का एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है, उपचुनाव में जहां बीजेपी सभी सीटों पर जीत का दावा कर रही है, तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस का कहना है कि जनता आने वाले उपचुनाव में बीजेपी को सबक सिखाएगी.
इधर बीजेपी का कहना है कि जो वादे उन्होंने पिछले चुनाव में जनता से किए थे, वह कांग्रेस के मेनिफेस्टो का हिस्सा था.अब आगामी चुनाव में बीजेपी जो मेनिफेस्टो जारी करेगी उसे पूरा किया जाएगा. ऐसे में अब सवाल ये है कि क्या जनता को एक बार फिर चुनावी मेनिफेस्टो का इंतजार करना होगा, और उसके बाद भी अगर जनता से किए वादे पूरे नहीं हुए तो फिर क्या होगा.
वहीं इस पूरे मामले में कांग्रेस प्रवक्ता आरपी सिंह का कहना है कि यह सभी लोग कांग्रेस सरकार पर काम न होने के झूठे आरोप लगाकर अपने निजी स्वार्थों के चलते पार्टी छोड़कर गए हैं, जनता आने वाले चुनाव में इन सबको सबक सिखाएगी.
मंत्री बनकर अपने पद का दुरुपयोग जनता को भ्रमित करने में कर रहे हैं. गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अब 26 सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें से 16 विधानसभा सीटें ग्वालियर चंबल इलाके की हैं. यही कारण है कि यहां पर अधिक से अधिक सिंधिया समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह दे दी गई है.