ग्वालियर। सिंधिया रियासत काल से चलने वाली नैरोगेज ट्रेन में अब 7 नए कोच और लगने वाले हैं. ग्रामीण क्षेत्रों की जीवनरेखा कही जाने वाली नैरोगेज ट्रेन में 7 नए कोच लगने से 200 से अधिक गांव के लोगों को इसका लाभ मिलेगा. ग्वालियर से हर रोज तीन नैरोगेज ट्रेन ग्वालियर मुख्य स्टेशन से 200 से अधिक गांवों को जोड़ती हुई श्योपुर जिले तक जाती है.
सिंधिया रियासतकालीन नैरोगेज ट्रेन में लगेंगे 7 नए कोच, हजारों लोगों को मिलेगा लाभ
200 किलोमीटर का सफर तय करने वाली नैरोगेज ट्रेन में अब 7 नए कोच लगने जा रहे हैं. नैरोगेज ट्रेन में नए कोच लगने से 200 से अधिक गांव के लोगों को इसका लाभ मिलेगा.
यह नेरोगेज ट्रेन 200 किलोमीटर की यात्रा करने वाली देश की पहली डीआरसी ट्रेन है, जो ग्वालियर, मुरैना और श्योपुर जिले के गांवों को जोड़ती हुई अपना सफर तय करती है. इस ट्रेन में सबसे ज्यादा सफर गांव के लोग ही करते हैं, जिनके यहां पर आने-जाने की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं है, लेकिन इस ट्रेन में डिब्बे कम होने के चलते लोग ट्रेन की छत पर यात्रा करते हैं. जिससे उनकी जान को भी खतरा रहता है. इसी के चलते रेलवे विभाग ने इस ट्रेन में 7 नए कोच और जोड़ने की योजना शुरू की है.
यह कोच हरियाणा के कालका वर्कशॉप में बन रहे हैं. इसमें से एक कोच ग्वालियर के लोको शेड में आ चुका है.