ग्वालियर।विश्व वन्य प्राणी दिवस पर ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान में नए मेहमानों की आमद बढ़ाने के लिए नए साल में कोशिशें तेज होंगी. पिछले साल ग्वालियर के इसी चिड़ियाघर में जय नामक शेर और परी नामक शेरनी ने अपने 3 शावकों को जन्म दिया था. यह मौका लगभग तीन दशक बाद आया था. इसी तरह लोमड़ी का एक बच्चा भी 8 साल पहले छत्तीसगढ़ के कानन पेंडारी चिड़ियाघर से लाया गया था. जिनकी संख्या अब बढ़कर 4 हो गई है. चिड़ियाघर प्रबंधन का मानना है कि नए साल में विलुप्त हो रहे वन्यजीवों के कुनबे बढ़ाने की कोशिश की जाएगी. उनका यह भी कहना है कि कम से कम ग्वालियर के चिड़ियाघर में 15 शेर हो इसकी कोशिश की जा रही है.
- बढ़ रहा है शेर का परिवार
किसी भी वन्य प्राणी उद्यान में ज्यादातर जानवर राष्ट्रीय अभ्यारण और दूसरे प्राणी उद्यानों से ही विनिमय के माध्यम से लाए जाते हैं. इनमें कई दुर्लभ प्रजातियां भी होती है. इसलिए जब यहां प्राकृतिक रूप से कोई जोड़ा अपना परिवार बढ़ाता है तो उसे उपलब्धि मान कर खुशी मनाई जाती है. ऐसी ही खुशी ग्वालियर के गांधी प्राणी उद्यान में आई है. परी नाम की शेरनी ने करीब 28 साल के इंतजार के बाद बीते वर्ष अगस्त में 3 शावकों को जन्म दिया था. जब देश दुनिया कोरोना के कहर से अपने घरों में सिमटी थी. शहर के गांधी प्राणी उद्यान में 14 अगस्त 2020 की सुबह सिंह की दहाड़ के साथ तीन नन्हे शावकों की किलकारियां गूंज उठी. नंदनवन रायपुर से 2012 में ग्वालियर लाए गए एशियाई सिंह जय और कानन पेंडारी बिलासपुर से ग्वालियर आई शेरनी अब 6 साल की हो चुकी है.