गुना।पार्वती नदी की गोद में बसे सोंडा गांव में बाढ़ का खौफनाक मंजर यहां के लोगों ने देखा. ग्रामीण इसकी कल्पना मात्र से सिहर उठते हैं. यही वजह है कि अब वह इस गांव में दोबारा नहीं जाना चाहते हैं. ग्रामीणों ने बाढ़ की तबाही के बाद अब प्रशासन से विस्थापन की मांग की है. उनका कहना है कि वह अब सोंडा गांव में नहीं रहना चाहते. बाढ़ के खौफ में सालों से वह यहां रह रहे हैं, लेकिन अब वह ऐसा खौफनाक मंजर कभी नहीं देखा चाहते हैं.
अब सोंडा गांव में नहीं रहना चाहते ग्रामीण
पार्वती नदी जब भी उफान पर आती है, तो उसके आस-पास बसे गांवों में बाढ़ आ जाती है. साल 1982, 2006 और अब 2021 में सेना की मदद से बाढ़ प्रभावितों को बाहर निकाला गया. अब ग्रामीण बेहतर भविष्य के लिए सरकार से विस्थापन की मांग कर रहे हैं. शनिवार देर शाम इस गांव में रेस्क्यू खत्म करने के बाद वापस लौट रहे कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए और एसपी राजीव कुमार मिश्रा से भी ग्रामीणों ने एक ही गुहार लगाई कि उन्हें दोबारा सोंडा गांव न भेजा जाए.
सोंडा गांव का वह खौफनाक मंजर
मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बमौरी ब्लॉक का छोटा सा सोंडा गांव 6 अगस्त की शाम से ही बाढ़ की वजह से बेहाल था. शुक्रवार होते-होते गांव के सभी घरों में पानी भर गया और लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर जाने लगे. मामले की जानकारी जैसे ही गुना कलेक्टर और एसपी को मिली, तो फौरन रेस्क्यू टीम मौके पर भेजी गई, और ग्रामीणों को बचाने की कोशिश शुरू की गई. बाद में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुरोध पर गृहमंत्री अमित शाह ने यहां NDRF की टीम भेजी. हेलीकॉप्टर की मदद से 150 से ज्यादा ग्रामीणों की जान बचाई गई. करीब 50 लोगों को नाव की मदद से बाहर निकाला गया.