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बाढ़ के खौफनाक मंजर की आंखों-देखी: अब वापस सोंडा गांव नहीं जाना चाहते ग्रामीण, प्रशासन से की विस्थापन की मांग

गुना के सोंडा गांव में बाढ़ आने के बाद अब ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. वह दोबारा से इस गांव में नहीं रहना चाहते हैं. सभी ने प्रशासन से विस्थापन की मांग की है.

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बाढ़ के खौफनाक मंजर की आंखों-देखी

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Published : Aug 8, 2021, 9:11 PM IST

गुना।पार्वती नदी की गोद में बसे सोंडा गांव में बाढ़ का खौफनाक मंजर यहां के लोगों ने देखा. ग्रामीण इसकी कल्पना मात्र से सिहर उठते हैं. यही वजह है कि अब वह इस गांव में दोबारा नहीं जाना चाहते हैं. ग्रामीणों ने बाढ़ की तबाही के बाद अब प्रशासन से विस्थापन की मांग की है. उनका कहना है कि वह अब सोंडा गांव में नहीं रहना चाहते. बाढ़ के खौफ में सालों से वह यहां रह रहे हैं, लेकिन अब वह ऐसा खौफनाक मंजर कभी नहीं देखा चाहते हैं.

अब सोंडा गांव में नहीं रहना चाहते ग्रामीण

पार्वती नदी जब भी उफान पर आती है, तो उसके आस-पास बसे गांवों में बाढ़ आ जाती है. साल 1982, 2006 और अब 2021 में सेना की मदद से बाढ़ प्रभावितों को बाहर निकाला गया. अब ग्रामीण बेहतर भविष्य के लिए सरकार से विस्थापन की मांग कर रहे हैं. शनिवार देर शाम इस गांव में रेस्क्यू खत्म करने के बाद वापस लौट रहे कलेक्टर फ्रेंक नोबल ए और एसपी राजीव कुमार मिश्रा से भी ग्रामीणों ने एक ही गुहार लगाई कि उन्हें दोबारा सोंडा गांव न भेजा जाए.

सोंडा गांव का वह खौफनाक मंजर

मध्य प्रदेश और राजस्थान की सीमा पर बमौरी ब्लॉक का छोटा सा सोंडा गांव 6 अगस्त की शाम से ही बाढ़ की वजह से बेहाल था. शुक्रवार होते-होते गांव के सभी घरों में पानी भर गया और लोग अपनी जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थान पर जाने लगे. मामले की जानकारी जैसे ही गुना कलेक्टर और एसपी को मिली, तो फौरन रेस्क्यू टीम मौके पर भेजी गई, और ग्रामीणों को बचाने की कोशिश शुरू की गई. बाद में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुरोध पर गृहमंत्री अमित शाह ने यहां NDRF की टीम भेजी. हेलीकॉप्टर की मदद से 150 से ज्यादा ग्रामीणों की जान बचाई गई. करीब 50 लोगों को नाव की मदद से बाहर निकाला गया.

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ईटीवी भारत ने सोंडा गांव के हालातों को लेकर ग्रामीणों से चर्चा की, तो पता चला कि सोंडा गांव 4 महीने कितने बदतर हालातों का सामना करता है. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लक्ष्मी कुशवाह बताती हैं कि यहां प्रशासन की टीम बारिश के दौरान नहीं आती है, किसी को प्रसव के लिए ले जाने के लिए ग्रामीण खुद ही साधन की व्यवस्था करते हैं, हाल ही में एक महिला काड़ीबाई का प्रसव भोपाल अस्पताल में कराने के लिए ले जाना पड़ा, इसके बाद उसके स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग करने कोई नहीं आया, बच्चे आंगनबाड़ी में आने के लिए तमाम दिक्कतों का सामना करते हैं.

गांव को मिला सिर्फ एक पीएम आवास

लगभग 250 लोगों की आबादी और 50 से ज्यादा घर होने के बावजूद सोंडा गांव को शासकीय योजनाओं का लाभ नहीं मिलता है. अब तक गांव में सिर्फ एक ही पीएम आवास मिला है. ग्रामीण लखन कुशवाह ने बताया कि उन्होंने सचिव से इसको लेकर चर्चा की तो उन्हें भगा दिया गया. इसके अलावा भी ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए.

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