डिंडौरी। गुरु वह होता है जो खुद अपनी मंजिल पर चलता है और अपने शिष्यों को चलाने की कोशिश करता है. ऐसा ही खास काम कर दिखाया है आदिवासी बहुल क्षेत्र के एक गुरु ने, जिन्होंने अथक प्रयासों से स्कूल की तस्वीर और बच्चों तकदीर बदलने का बीडा उठाया है. स्कूल की बदहाली के साथ-साथ इस शिक्षक ने गांव के बच्चों और ग्रामीणों के जीवन स्तर को भी बदलने की ओर से काम किया है.
शिक्षक ने कड़ी मेहनत कर बदली स्कूल की सूरत जिले का शासकीय माध्यमिक स्कूल सांरगगढ़ और उसके शिक्षक मधुदीप उपाध्याय इन दिनों चर्चा का विषय बने हुए हैं. जिनकी कोशिश ने गांव की दशा बदल दी है. स्कूल में शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को रहन- सहन का तरीका, स्वच्छता, शौचालयों का उपयोग करना,खाने से पहले हाथ धुलना, बाल,नाखून ,ड्रेस की साफ सफाई करना सिखाया जाता है.स्कूल में ग्रामीणों के सहयोग से पानी बचाने के लिए वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम, अग्निशमन यंत्र, मध्याह्न भोजन के लिए धुंआ रहित गैस सिलेंडर आदि की व्यवस्तथा की गई है. स्कूल में बाल केबिनेट है जहां प्रधानमंत्री से लेकर पूरा मंत्रिमंडल का निर्माण किया गया है. जो शौचालय को साफ करने से लेकर अपने अपने दायित्वों को बखूबी निभाते हैं. शिक्षक खुद बच्चों के साथ शौचालय करने जुट जाते है.शिक्षक मधुदीप उपाध्याय और उनके स्टाफ के द्वारा बीते 5 सालों के कठिन परिश्रम और मेहनत से स्कूल को रोल मॉडल के रूप में लाकर खड़ा कर दिया है अब ग्रामीणों ने प्रशासन से शिक्षक सम्मानित करने की मांग की है.जिसे अधिकारियों ने कलेक्टर ने प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर को भेज दिया है.