डिंडौरी। प्रदेश की सरकार छात्र-छात्राओं को बेहतर शिक्षा देने के लिए भले ही लगातार कई प्रयास कर रही हो. लेकिन जिन स्कूलों में इन छात्र-छात्राओं को शिक्षा दी जा रही है, वे कितने मजबूत है इसकी एक बानगी डिंडौरी जिले के आनाखेड़ा गांव के स्कूल में मिली जहां जर्जर भवन के नीचे गांव के नैनिहाल पढ़ने को मजबूर है.
जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर छात्र-छात्राएं डिंडौरी जिला प्रदेश के जनजातीय कार्य मंत्री ओमकार सिंह मरकाम का गृह जिला है. अब जिस जिले का प्रतिनिधित्व खुद मंत्री करते हो वहां के स्कूलों की भी अगर यह हालत होगी तो प्रदेश के अन्य स्कूलों का क्या हाल होगा. देखने में आया है कि कांग्रेस की नई सरकार बजट की कमी से जूझ रही है, जिसका खामियाजा शिक्षा व्यवस्था में भी देखने को मिल रहा है.
स्कूल की छात्राएं सरकार से नए भवन की मांग कर रही है. मामले में जब स्कूल के प्रधानध्यापक सुमारू लाल मरावी से बात की तो उनका कहना है कि बीते चार-पांच सालों से स्कूल की स्थितीय बेहद दयनीय है. गांव के सरपंच और जनशिक्षक तक से शिकायत की जा चुकी है. बावजूद इसके अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है. हालात ये है कि बच्चों को बारिश के दिनों में किसी तरह से बचा कर पढ़ाया जाता है.
मामले में जब जिला पंचायत सीईओ एम एल वर्मा से बात की गई, तो उनका कहना था मामला वाकई गंभीर है. स्कूल भवन को देखकर लगता है कि यहां कभी भी दुर्घटना घट सकती है. कमरों की मरम्मत तो मुमकिन नहीं है, लेकिन मांग की जाती है, तो अन्य किसी मद से अतिरिक्त कक्ष बनवाया जाएगा.