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बैगा जनजाति बिना हल चलाए उगाते हैं 52 तरह की फसलें, बनाना सीख रहे लजीज व्यंजन - The objective of the program is to save beaver farming

डिंडौरी जिले के ढाबा गांव में सिकिया मांदी प्रोग्राम के तहत बैगा जनजाति की फसलों के बारे में लोगों को बताया जा रहा है. साथ ही बैगा महिलाओं को कोदो, कुटकी जैसी फसलों से व्यंजन बनाना सिखाया जा रहा है. बता दें कि बैगा जनजाति के लोग खेतों से बिना हल चलाए 52 प्रकार की फसलें उगाते हैं. प्रोग्राम का उद्देश्य पारंपरिक खेती बेवर को बचाना है.

Sikiya Mandi program organized
सिकिया मांदी कार्यक्रम आयोजित

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Published : Mar 1, 2020, 5:16 PM IST

Updated : Mar 1, 2020, 6:41 PM IST

डिंडौरी। जिले के समनापुर के ढाबा गांव में एक निजी संस्था ने सिकिया मांदी कार्यक्रम का आयोजन किया. कार्यक्रम का उद्देश्य बैगाओं के द्वारा खेतों में बिना हल चलाए अनाज को उगाने के बारे में है. इस प्रोग्राम में बैगा जनजाति के पुरुष और महिला शामिल हुए. बता दें कि मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बैगा के अनाजों को मिशन मिलेट के जरिए ब्रांडिंग करने का ऐलान किया है. दरअसल जिले के ढाबा गांव में सिकिया मांदी प्रोग्राम के तहत प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.

सिकिया मांदी कार्यक्रम आयोजित

इसमें बैगा जनजाति के बिना हल चलाए पारंपरिक खेती के जरिए 52 प्रकार की फसल उगाने के बारे में बताया गया है. बैगा लोग कोदो, कुटकी, सलहार, जोबार, कंगनी, मढिया जैसी पोस्टिक आहार का उत्पादन जंगलों में करते हैं. कार्यक्रम में उड़ीसा से सामाजिक कार्यकर्ता शबनम बैगा महिलाओं को कोदो, कुटकी अनाज से कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजन बनाने की ट्रेनिंग दे रही हैं.

शबनम ने बताया कि इन अनाजों में पौस्टिक तत्व भारी मात्रा में होता है, जिससे स्वास्थ्य ठीक रहता है. सामाजिक कार्यकर्ता नरेश विश्वास ने बताया कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बैगाओं की पारंपरिक खेती बेवर खेती को बचाना है, जो खत्म होने की कगार पर है. बैगा अपने खेत पर बगैर हल चलाए 52 तरह की फसल ले सकते है.

Last Updated : Mar 1, 2020, 6:41 PM IST

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