डिंडौरी। जिले के शहपुरा मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर पर बने राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघुवा में पेड़-पौधों के जीवाश्म को संरक्षित कर रखे गए हैं. यहां पर यूकेलिप्टस, नारियल, और अन्य प्रकार की प्रजाति, डायनासोर के अंडे के साथ ही कई तरह के पेड़ पौधों के जीवाश्म देखने को मिलते हैं. राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान घुघुवा देश का पहला जीवाश्म राष्ट्रीय उद्यान है. जहां पर लगभग 6.5 करोड़ साल पुराने वृक्षों के जीवाश्मों को संरक्षित किया गया है, लेकिन यहां गाइड की सुविधा और कैंटीन चालू नहीं होने से पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान डिंडौरी जीवाश्मों की खोज किसने की
इन जीवाश्मों की खोज अविभाजित मंडला जिले के सांख्यिकीय अधिकारी और जिला पुरातत्व के मानद सचिव डॅा धर्मेन्द्र प्रसाद ने की थी. साथ ही इस पर विधिवत अध्ययन जबलपुर के आदर्श विज्ञान महाविद्यालय के प्राध्यापक डॅा एसआर इंगले और लखनऊ के बीरबल साहनी पुरवनस्पति विज्ञान संस्थान के डॅा एमबी बांडे ने किया.
करोड़ों साल पुराने हैं जीवाश्म
ये जीवाश्म करोड़ों साल पहले विद्यमान वनस्पतियों के बारे में जानकारी देते हैं. यहां इतने सारे जीवाश्म का मिलना, इस बात की ओर संकेत करता है कि प्राचीन काल में यहां और आसपास के क्षेत्र में घने वन थे. फिर ज्वालामुखी विस्फोट जैसी कोई भयंकर प्राकृतिक विपदा हुई होगी, जिसमें ये सारे पौधे एक साथ नष्ट हो गए. ये जीवाश्म हमें प्राचीन काल में इस जगह की जलवायु और भौगोलिक स्थिति की जानकारी देते हैं.
अब तक घुघुवा में 18 पादप कुलों के 31 परिवारों के जीवाश्म खोजे जा चुके हैं यहां के जीवाश्मों में ताड़ वृक्षों, यूकेलिप्टस, नारियल प्रजाति और द्विबीजपत्री पौधों की प्रचुरता है
क्या कहते हैं यहां आने वाले पर्यटक
दिल्ली के नेशनल हार्ट इंस्टीट्यूट के डॅा ओपी यादव ने बताया कि यहां आकर उन्हें बहुत अच्छा लगा. यहां करोड़ों साल पुराने जीवाश्मों को देखकर खुशी हुई. वहीं दूसरे पर्यटक ने बताया कि 6.5 करोड़ साल पहले के पादप जीवाश्मों को देखकर बहुत अच्छा लगा.