डिंडौरी। आदिवासी जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन वहां तक पहुंच नहीं होने और दुर्गम रास्तों के चलते इन स्थानों का विकास नहीं हो पा रहा है. यही वजह है कि जिले के ही ज्यादातर लोगों को यहां के प्राकृतिक जलप्रपातों की जानकारी तक नहीं है. प्रकृति के गोद में बसा एक ऐसा गांव, जहां प्रकृति ने अपना सबकुछ न्यौछावर कर दिया है. घने जंगलों और हरी-भरी वादियों के बीच लगभग दो किलोमीटर दूर से ही झरझरा जल प्रपात से निकलती कल-कल की आवाज लोगों को आकर्षित करने लगती है.
झरझरा जल प्रपात को डिंडौरी जिले के बेहद कम लोग ही जानते है. जो जानते है वे ग्रामीणों की मदद से साल में उन दिनों आते है जब मौसम साफ हो और गर्मियों का समय हो. इस झरझरा जल प्रपात की खासियत यह है कि यह जंगल के बीच प्रकृति की गोद मे बसा है. झरझरा जलप्रपात जाने के लिए लोगो को दुर्गम और कच्चे पगडंडियों भरे रास्ते पर पैदल चलना पड़ता है. गाँव से इसकी दूरी 3 से 4 किलोमीटर है. यहां से आना और जाना कठिन कार्य है.